Saturday, May 27, 2023

डीपफ़ेक और AI का कमाल या हमारी सुरक्षा को खतरा ?

 



डीपफ़ेक और AI का कमाल या हमारी सुरक्षा को खतरा?


हो सकता है यह जानकारी आपको धोखा खाने से बचाये... लुटने से बचाये।


तकनीक जैसे जैसे आधुनिक होती जा रही है... उससे जुड़े खतरे भी बढ़ते जा रहे हैं... इसको 2 सच्चे उदाहरणों से समझते हैं।


1. चीन में पिछले दिनों एक व्यक्ति को 5 करोड़ रूपए का चूना लग गया। हुआ यह था कि उसके पास एक वीडियो कॉल आई... वीडियो कॉल में उसका करीबी दोस्त था, जो काफी परेशानी में दिख रहा था। दोस्त ने स्वयं को बहुत बुरी हालत में दिखाया और आर्थिक मदद मांगी।


चूँकि दोस्त सामने दिख रहा था, बात कर रहा था, इस व्यक्ति का दिल पसीज गया... और फिर इसने अपने कथित दोस्त के दिए गए एकाउंट में पैसे ट्रान्सफर कर दिए।


बाद में पता लगा कि उस दोस्त ने कभी कॉल किया ही नहीं था... और इस व्यक्ति के साथ ठगी हो गई थी।


मामले की जांच पुलिस ने की... बैंक ट्रान्सफर ट्रेस किये गए, अधिकांश पैसा बरामद कर लिया गया है, अपराधी भी जल्दी पकड़ा जायेगा।


2. अमेरिका के एरिज़ोना में एक 15 साल की लड़की स्कीइंग कर गई थी... अचानक से उसकी माँ को एक कॉल आता है। कॉल की शुरुआत उस लड़की के रोने की आवाज़ से होती है... माँ घबरा जाती है और अपनी बेटी से प्रश्न पूछने की कोशिश करती है।


इतने में ही एक पुरुष की आवाज़ आती है... वह कहता है कि उस महिला की बेटी उसके कब्जे में है... और अगर एक मिलियन डॉलर ट्रांसफर नहीं किये तो वह उसकी बेटी को मार देगा। माँ गिड़गिड़ाई... कहा कि इतने पैसे नहीं हैं... अपहरण करने वाला 5 लाख डॉलर पर अड़ जाता है... माँ उससे थोड़ी मोहलत मांगती है... वो आदमी धमकी देता है कि अगर पुलिस को पता चला तो उसकी बेटी को मार देगा।


महिला अपनी एक दोस्त को फोन करती है, और उसे यह सब बताती है... वह दोस्त तुरंत उस ग्रुप को कॉल करती है जो स्कीइंग के लिए गया था, वहाँ पता लगता है कि उस लड़की का अपहरण नहीं हुआ था... वह तो वहाँ घूम रही थी और सुरक्षित थी।


तुरंत 911 पर कॉल किया गया और उन्हें इस बारे में बताया गया, कि उसकी बेटी की आवाज में उन्हें कॉल करके डराया गया और पैसे उगाहने की कोशिश की गई।


इन दोनों मामलों में आप देख सकते हैं कि कैसे एक दोस्त के चेहरे का इस्तेमाल किया गया, वहीं एक लड़की की आवाज़ का इस्तेमाल करके उसकी माँ से पैसे लेने का प्रयास किया गया।


अब आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे हुआ होगा... तो इसका एक ही उत्तर है... डीपफ़ेक तकनीक।


डीपफ़ेक एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस का हथियार है... जिसकी मदद से आप किसी की भी शक्ल या बॉडी का इस्तेमाल कर सकते हैं वीडियो बनाने में। आप किसी भी मानव की आवाज को पकड़ करके उस इंसान के जैसी हूबहू आवाज भी बना सकते हैं।


पिछले दिनों कुछ एप्प्स भी आपने देखी होंगी... जो आपकी तस्वीर को किसी एक्टर के शरीर पर लगा सकते हैं... किसी फ़िल्म के वीडियो में आपकी शक्ल को एक्टर के धड़ पर लगाया जा सकता है। खैर वह बचकानी एप्प्स थी।


लेकिन कुछ समय से थोड़ी आधुनिक एप्प्स आने लगी हैं... जो आपको बूढा दिखा सकती हैं... कुछ में आपके पूर्वजो की तस्वीर को रीमास्टर भी किया जा सकता है... छोटे छोटे वीडियो भी बनते हैं... जिनमे आपकी स्थिर तस्वीर का इस्तेमाल कर एक गति वाली वीडियो बनाई जा सकती है... जिसमें आपके हावभाव भी बदल सकते हैं... और जो काफी हद तक वास्तविक भी लगते हैं।


यह सब AI ऍल्गोरिथम की वजह से होता है... इन एप्प्स में डाटा (तस्वीर) को एनकोड डिकोड व संसाधित करने की क्षमता होती है।


अब तो AI की सहायता से डीपफ़ेक इस सबको कई लेवल ऊपर ले जाता है। पोस्ट में दी गई एक तस्वीर को देखिये... जिसमें एक आम इंसान है, और उसके साथ ही एक तस्वीर है हॉलीवुड कलाकार टॉम क्रूज की... डीपफ़ेक का इस्तेमाल करके उस इंसान के चेहरे पर टॉम क्रूज का चेहरा डाल दिया गया है, और अब अगर वह कोई हावभाव भी देगा, तो एकदम वास्तविक टॉम क्रूज जैसा ही लगेगा।


इसमें एक आम इंसान के चेहरे के विभिन्न पॉइंट्स का विश्लेषण किया जाता है, फिर जो चेहरा बनाना है (टॉम क्रूज जैसा) उसके हिसाब से AI ऍल्गोरिथम चेहरे के किनारों को, अन्य हिस्सों को डिकोड एनकोड और संसाधित करती है, और अंततः एकदम टॉम क्रूज जैसा चेहरा बना देती है।


कुछ एप्प्स में फेस फ़िल्टर की सुविधा भी मिलती है, जिसमें आप किसी का चेहरा भी लगा सकते हैं... ऐसा कुछ कॉमेडियन या सोशल मीडिया हस्तियाँ इसका इस्तेमाल करते हैं... लेकिन उसमे पता लग जाता है कि चेहरा नकली है।


लेकिन डीपफ़ेक से आप हूबहू किसी का भी चेहरा बना सकते हैं... और इसमें काम आती है डीप लर्निंग।


यही काम आप किसी के वॉइस सैम्पल्स का उपयोग करके भी कर सकते हैं। मान लीजिये आपने किसी से फ़ोन पर बात की, उसने आपकी बात रिकॉर्ड कर ली... अब वह उस वॉइस सैम्पल को किसी डीपफ़ेक वॉइस जेनेरेटर एप्प में डाल कर आपकी वॉइस का क्लोन बना सकते हैं।

आपकी वॉइस के उतार चढ़ाव, आपके बोलने के तरीके, स्वरमान आदि को AI ऍल्गोरिथम की मदद से सिख के, उसकी क्लोनिंग की जा सकती है।

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जो पहली घटना आपको बताई थी... उसमे अपराधी ने शिकार के दोस्त की तस्वीर या वीडियो का इस्तेमाल करके (जो सोशल मीडिया पर मिल ही जाती हैं... सब ड़ालते ही हैं) अपने चेहरे पर उसका चेहरा डाल दिया... फिर एक वीडियो कॉल मिलाई... बातें की और यह बताया कि वह किसी समस्या में है।


डीपफ़ेक की सहायता से आप किसी से लाइव वीडियो कॉल पर भी बात कर सकते हैं... और सामने वाला आपको हूबहू अपने दोस्त जैसा ही लगेगा।


दूसरी घटना में लड़की की आवाज के सैम्पल्स लिए गए होंगे... सोशल मीडिया से, या फ़ोन रिकॉर्डिंग से, या ऐसे ही कहीं बोलते हुए कैद कर लिए होंगे... और फिर उस आवाज़ के सैम्पल्स को डीपफ़ेक वॉइस जेनेरेटर्स में डाला गया होगा... और फिर उस लड़की की आवाज में चीखने चिल्लाने और मदद माँगने जैसे शब्द बना लिए गए होंगे।


और जब धमकी देने वाले ने कॉल किया होगा, तो उस लड़की की आवाज की रिकॉर्डिंग पार्श्व में चल रही होगी... ताकि उसकी माँ को लगे कि उसकी बेटी वहीं कॉलर के पास ही है, और मदद के लिए चिल्ला रही है... रो रही है।


पहली घटना में तो धोखा हो भी गया, क्यूंकि 5 करोड़ रूपए ट्रांसफर कर दिए गए थे... दूसरी घटना में महिला की दोस्त ने सीधा स्कीइंग करने गई टीम को कॉल करके समझदारी का काम किया, और एक धोखा होने से बचा लिया।


अब समस्या यह है कि जैसे जैसे AI और मशीन लर्निंग उन्नत होती जायेगी, इस तरह की और समस्याएं बढ़ती जाएंगी। कुछ समय पहले तक डीपफ़ेक वीडियोज को पहचानना आसान हुआ करता था।


1. उसमे इंसान की पलकें कम झपकती थी... या असमान पैटर्न हुआ करता था।

2. उसमे चेहरे के किनारे भी असमान या धुंधले हुआ करते थे।


लेकिन अब एप्प डेवेलपर्स ने इन कमियों को भी सुधार दिया है... वैसे भी AI तो हमेशा सीखता ही रहता है... डाटा पैटर्न्स को समझता रहता है... अब एप्प्स में पलकें झपकना भी प्राकृतिक की तरह हो गया है... वहीं किनारे भी अब पहले से बेहतर हो गए हैं... आगे यह और भी परफेक्ट सिस्टम हो जायेगा।


डीपफ़ेक तकनीक का बहुत इस्तेमाल होना शुरू हो गया है, कई देशों में AI टीवी न्यूज प्रस्तुतकर्ता भी शुरू हो गए हैं... जो हूबहू इंसान जैसे लगते हैं, और ख़बर पढते हैं। पिछले ही दिनों इंडिया टुडे ने भी एक AI न्यूज रीडर प्रारम्भ किया था।


लेकिन इस तकनीक के नुकसान भी हैं... दो तो ऊपर ही बताये हैं... इसके अलावा फेक न्यूज फैलाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।


डीपफ़ेक की सहायता से चुनावी प्रचार भी प्रभावित किये जा सकते हैं। सोचिये क्या प्रभाव होगा वोटर्स पर अगर उनके नेता का असभ्य वीडियो आ जाए... जो डीपफ़ेक से बना हो... लेकिन एकदम असली हो?


पुतिन के कई फेक वीडिओज़ बनाये जा चुके हैं... ऐसे ही किसी बड़े राजनेता के बनाये जा सकते हैं... जो लोगों को भड़काने या दुष्प्रचार करने के काम भी कर सकते हैं... अब आप सोच लीजिये इसका क्या क्या नुकसान हो सकता है।


ऊपर बताई घटनाओं से कैसे बचें?


पोस्ट में बताई 2 घटनाओं से आप अपने आपको बचा सकते हैं। फिलहाल तो यही कहा जा सकता है कि अगर आपको अनजाने नम्बर या Id से वीडियो कॉल आये, तो उस पर विश्वास ना करें।


किसी को पैसा ट्रांसफर करने से पहले उससे फोन पर बात करे लें... अगर गहरा दोस्त है तो उसके परिवार में से किसी से बात कर के स्थिति की पुष्टि करें।


आप कहीं छुट्टी पर जा रहे हैं... या आपके बच्चे कहीं जा रहे हैं.. तो उस सोशल मीडिया पर ना लिखें। दूसरी घटना में यह बात अपराधी को पता थी... और उसी का लाभ उठाने का प्रयास किया गया।


आपको हाइकिंग, स्कीइंग, ट्रैकिंग की तस्वीर डालनी हैं... वापस लौट कर डाल लें... क्या पता आप ऐसे इलाके में हों जहां आपसे संपर्क ना हो पाए... और कोई अपराधी इस स्थिति का लाभ उठा कर आपके घर वालों से पैसा वसूल ले... क्यूंकि आप से तो संपर्क नहीं हो पायेगा ना... ऐसे में घर वालों को लग सकता है कि आपका अपहरण हो गया हो।


अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात... तकनीक कितनी ही आधुनिक हो जाए... वह मानव के मूलभूत स्वभाव और स्थिति जागरूकता का मुकाबला नहीं कर पाएगी। कोई भी धोखा तभी होता है, जब आप अपने मूल स्वभाव से हट कर निर्णय लेते हैं।


आपको पता है कि शॉर्टकट से पैसा नहीं मिलता... लेकिन फिर भी लोग लालच में आ कर लाखों झोंक देते हैं... और कोई उस पैसे को लेकर चंपत हो जाता है... अपनी बुनियादी प्रवृत्ति को बचाये रखें... तभी तकनीकों के दुष्प्रभावो से बच पाएंगे।

नौ वर्ष, नौ योजनाएँ जिसने भारत की छवि बदली।




नौ वर्ष, नौ योजनाएँ जिसने भारत की छवि बदली।


मुझे भाजपा की एक योजना जो सबसे वृहद प्रभाव छोड़ने वाली लगी वह है ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’। हाँ, इसके पीछे आधार और जनधन खाते हैं, जिसके कारण यह संभव हुआ है।


दूसरी योजना ‘भीम’ और यूपीआई वाली है। मैं चीन गया था तो आश्चर्यचकित था कि कैसे एक एप्प ‘वीचैट’ से वो लोग सार्वजनिक सायकिल लेने से ले कर, ठेले से नूडल्स, मॉल से ले कर एप्प में ही एक-दूसरे को पैसे भेज देते थे। साल भर बाद भारत में इसका प्रसार जब देखा, तो वह चीन से उत्कृष्ट इम्प्लीमेंटेशन के साथ दिखा।


ग्रामीण लोगों के लिए पेयजल, शौचालय, आवास, एलइडी, सिलिंडर, सड़क आदि की गुँथी हुई योजनाओं ने ग्रामीण जीवन को कई सीढ़ी एलिवेट किया है। शहरी जीवन जीने वाले इन सुविधाओं की महत्ता समझ ही नहीं सकते।


चौथी योजना, जो भारतीय औद्योगिक क्षेत्र से ले कर सामान्य मानव के जीवन को सकारात्मक रूप में प्रभावित करता दिखा वह है ‘विद्युतीकरण योजना’। दिन में दो घंटे की बिजली का दौर हमने देखा है, लैम्प के शीशे की कालिख, संध्या लगाने के बाद दवाई की शीशियों में कैरोसीन तेल और ढक्कन में कपड़े की बत्ती वाले दीये/ढिबरी में हमने पढ़ाई की है।

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पाँचवी योजना है ढाँचागत विकास जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए आधारभूत आवश्यकता है। यह हर भाजपा सरकार की प्राथमिकता रहती है। गडकरी जी की सोच और उसका धरातलीकरण न केवल हमारी यात्रा के समय को कई घंटों से कम कर रहा है, बल्कि मालवाहक गाड़ियों के लम्बे जाम के कारण वस्तुओं की मूल्य वृद्धि जैसी अनियमितताओं में भी कमी आई है।


छठी योजना जिसने सामान्य जनजीवन पर प्रत्यक्ष प्रभाव छोड़ा है वह है मेडिकल एवम् तकनीकी कॉलेजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि। हालाँकि, शिक्षा और शोध में और भी बजट देने की आवश्यकता है पर, आधार यदि सबल हो, तो बाद में निवेश किया जा सकता है।


सातवीं बात जो मुझे राष्ट्रीय और आंतरिक सुरक्षा की दृष्टि से इस सरकार की उपलब्धि लगती है वह है रेड कॉरिडोर को सीमित करना, नक्सिलयों की नकेल कसना और आतंकी हमलों को एक सीमा तक नगण्य कर देना। यदि कोई आक्रमण करता है, तो उसका यथासंभव उत्तर देना जो आनुपातिक न हो।


आठवीं उपलब्धि है संचार क्रांति और सूचना का लोकतांत्रीकरण। डेटा की पहुँच में विस्तार और मूल्य विश्व में न्यूनतम, इस राष्ट्र की एक बड़ी जनसंख्या को वास्तव में सोचने और बोलने वाली, जागरुक जनसंख्या में बदल चुका है। सरकार ने भी अपने सारे मंत्रालयों, मंत्रियों, जिला स्तर तक के विभागों को सोशल मीडिया से जोड़ा जो (लगभग) त्वरित कार्रवाई करते हैं। इससे निजी कम्पनियों पर भी उत्कृष्ट सेवा का दवाब बना है।


नवीं बात है रेलवे का आधुनिकीकरण और हवाई यात्रा का विस्तार। भविष्य और वर्तमान की खाई को पाटतीं ये दोनों ही विकास की सीढियाँ हमारी वैयक्तिक आर्थिक क्षमता को भारत की राष्ट्रीय आर्थिक क्षमता के समानांतर खड़ी करती हैं।


सरकार की कई नीतियों का प्रभाव आने वाले समय में अधिक दिखेगा। कमियाँ भी कम नहीं हैं, पर उनका प्रभाव सकारात्मक नीतियों के आगे कम हो जाता है।

Friday, May 19, 2023

बड़ी खबर: RBI का बहुत बड़ा फैसला, दो हजार के नोट…..

 


बड़ी खबर: RBI का बहुत बड़ा फैसला, दो हजार के नोट का सर्कुलेशन किया बंद


इस वक्त की बड़ी खबर दो हजार रुपए के नोट से जुड़ी हुई सामने आ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार के नोट को वापस लेने का फैसला लिया है। फिलहाल बाजार में मौजूद दो हजार के नोट वैध रहेंगे। 30 सितंबर तक दो हजार के नोट वापस किए जा सकेंगे। आरबीआई अब दो हजार के नोट नहीं छापेगी। 


दरअसल, आरबीआई ने दो हजार के नोट को लेकर बड़ा फैसला लिया है। देश में दो हजार के नोट लीगल तो रहेंगे लेकिन उसे सर्कुलेशन से बाहर कर दिया गया है। आरबीआई ने सभी बैंकों को निर्देश जारी किया है कि वे दो हजार के नोट जारी करना तत्काल रोक दें। क्लीन नोट पॉलिसी के तहत यह फैसला लिया गया है। फिलहाल बारार में मौजूद दो हजार के नोट लीगल रहेंगे, लोग 30 सितंबर तक उन्हें बैंकों को वापस कर सकते हैं।


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आरबीआई ने कहा है कि 2018-19 में ही दो हजार रुपये के नोट को छापना बंद कर दिया गया था। 23 मई से एक बार में 20 हजार रुपये तक के ही 2 हजार रुपये के नोट बदल सकेंगे। इसके लिए सभी बैंकों में स्पेशल विंडो खोले जाएंगे इसके अलावा नोट बदलने और जमा करने के लिए आरबीआई 19 शाखा खोलेगी। बता दें कि केंद्र सरकार ने काला धन और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए 8 नवंबर 2016 की आधी रात से 500 और 1000 के नोट को बंद करते हुए 2000 रुपए के नोट लाई थी।




Tuesday, May 16, 2023

गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ?




हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल मे क्या क्या पढ़ाई होती थी! आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी ये जान लेना आवश्यक है। इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें!


01 अग्नि विद्या (Metallurgy)

02 वायु विद्या (Flight)

03 जल विद्या (Navigation)

04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)

05 पृथ्वी विद्या (Environment)

06 सूर्य विद्या (Solar Study)

07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)

08 मेघ विद्या (Weather Forecast)

09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)

10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)

11 दिन रात्रि विद्या

12 सृष्टि विद्या (Space Research)

13 खगोल विद्या (Astronomy)

14 भूगोल विद्या (Geography)

15 काल विद्या (Time)

16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)

17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)

18 आकर्षण विद्या (Gravity)

19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)

20 तार विद्या (Communication)

21 विमान विद्या (Plane)

22 जलयान विद्या (Water Vessels)

23 अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Ammunition)

24 जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology Botany)

25 यज्ञ विद्या (Material Sic)


ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की। अब बात करते हैं व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की!


26 वाणिज्य (Commerce)

27 कृषि (Agriculture)

28 पशुपालन (Animal Husbandry)

29 पक्षिपलन (Bird Keeping)

30 पशु प्रशिक्षण (Animal Training)

31 यान यन्त्रकार (Mechanics)

32 रथकार (Vehicle Designing)

33 रत्नकार (Gems)

34 सुवर्णकार (Jewellery Designing)

35 वस्त्रकार (Textile)

36 कुम्भकार (Pottery)

37 लोहकार (Metallurgy)

38 तक्षक

39 रंगसाज (Dying)

40 खटवाकर

41 रज्जुकर (Logistics)

42 वास्तुकार (Architect)

43 पाकविद्या (Cooking)

44 सारथ्य (Driving)

45 नदी प्रबन्धक (Water Management)

46 सुचिकार (Data Entry)

47 गोशाला प्रबन्धक (Animal Husbandry)

48 उद्यान पाल (Horticulture)

49 वन पाल (Horticulture)

50 नापित (Paramedical)


यह सब विद्या गुरुकुल में सिखाई जाती थी, पर समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए तो यह विद्या भी लुप्त होती गयी! आज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है।


भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद। 1858 में इंडियन एजुकेशन एक्ट बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकाले’ ने की थी। उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था जी.डब्ल्यू. लूथर और दूसरा था थॉमस मुनरो! दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग अलग समय सर्वे किया था। लूथर, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और मुनरो, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है।

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मैकाले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे।


मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है, “कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।” इस लिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया। जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज की तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी। फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया। उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा पीटा, जेल में डाला।


1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’। मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘उच्‍चतर शिक्षा संस्थान’ हुआ करते थे। उन सबमें 18 विषय पढ़ाये जाते थे और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा।


गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया। उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था। इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी देश में हैं!


मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि: “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है। अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा। हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।


लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी भाषा सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा हैॽ शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।


संयुक्तराष्टसंघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी! जिसमें लगभग वो विजय पा चुके क्योंकि आज का युवा भारत को कम यूरोप को ज्यादा जनता है। भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है लेकिन पाश्चात्य देशों की नकल करता है। सनातन धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी वामपंथियों का समर्थन करता है।


सभी बन्धुओं से एक चुभता सवाल हम सभी को धर्म की जानकारी होनी चाहिये। क्योंकि धर्म ही हमें राष्ट्र धर्म सिखाता है, धर्म ही हमे सामाजिकता सिखाता है, धर्म ही हमे माता पिता,  गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देता है। सनातन परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते हैं उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है.

Monday, May 15, 2023

ब्रह्मोस !

 




ब्रह्मोस नेक्स्ट जेनरेशन ❗
ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज,❗
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल फॉर फ्रीगेट्स❗
ब्रह्मोस एंटी शिप मिसाइल ❗
(Ship-launched Surface-launched Submarine-launched Air-launched BrahMos-II BrahMos-NG BrahMos-ER)
अगर भारत अपनी ब्रह्मोस की अलग-अलग रेंज की मिलाजुला कर सिर्फ 100 मिसाइल भी ताइवान को दे दे तो चीन ताइवान की तरफ मुंह करके लड़ाई करने की तो छोड़ो मूतने की भी हिम्मत नहीं करेगा. क्योंकि यह सौ मिसाइलस चीन की 80 परसेंट से ज्यादा जनता को पूर्णतया तबाह करने की क्षमता रखती हैं।
पर ताइवान ना जाने क्या सोच रहा है. लगता है यह भी अमेरिका के चक्कर में यूक्रेन की तरह पूरा बर्बाद हो कर ही मानेगा. अमेरिका की तो ताइवान के 548 बिलियन डॉलर के फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पर नजर है इससे पहले अमेरिका भारत के 600 बिलियन डॉलर के रिजर्व के ऊपर नजर गड़ाए बैठा था जो मोदी की हिम्मत और चीन के युद्ध से डर के चलते फेल हो गया.
अब देखो अमेरिका के लिए बलि का बकरा कौन सा देश बनता है❓ ताइवान, जापान या फिर हिंदुस्तान❗



Saturday, May 13, 2023

महाभारत युद्घ जीतने के बाद पांडव वीर ....





 महाभारत युद्घ जीतने के बाद पांडव वीर अर्जुन बार-बार अपने गांडीव और अपनी भुजाओं की तरफ बड़े गुमान से निहार रहे थे।


कृष्ण ने पूछा क्या कर रहे हो पार्थ? अर्जुन ने कहा: सोच रहा हूँ कि मेरी इन भुजाओं से कैसे कौरव वीर मारे गए।


कृष्ण बोले: युद्घ में सब लड़े। तुम भी, तुम्हारे भ्रातागण भी और तुम्हारी सेना के श्रेष्ठ धनुर्धर शिखंडी भी।


अब अर्जुन को यह बात लग गई बोले: आपको मेरी वीरता दिखी नहीं कृष्ण! या आप मेरे पौरुष को ललकार रहे हैं। यूँ भी आपके यादव वीर तो कौरव की तरफ थे और आप हमारी तरफ रहे भी तो क्या आपने धनुष तक तो उठाया नहीं।


श्रीकृष्ण अर्जुन की इस गर्वोक्ति से कुछ दु:खी हुए फिर बोले: देखो अर्जुन हमारे घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक सबसे ऊँचे स्थान से महाभारत का युद्घ देख रहा था। उसे पता होगा कि दरअसल असली वीर कौन था?


वे दोनों बर्बरीक के पास पहुंचे। भगवान ने उससे पूछा बेटा बर्बरीक तुम्हें इस महाभारत में कौन सबसे अधिक वीर और विजेता प्रतीत हुआ?


बर्बरीक बोला: भगवन मैने सिर्फ एक ही व्यक्ति को युद्घ करते देखा जो पीतांबर पहने, सिर पर मोर मुकुट बांधे अपने सुदर्शन चक्र से सारे योद्घाओं को परास्त कर रहा था। अन्य किसी को मैने नहीं देखा।

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बर्बरीक की बात सुनकर अर्जुन लजा गए और श्रीकृष्ण के पैरों पर गिरकर क्षमा याचना की।


उपदेश यह कि युद्घ एक ही आदमी के बूते किया जाता है। बाक़ी सब या तो यादव सेनाएँ हैं अथवा शिखंडी या फिर अर्जुन की तरह बृहन्नला!


नोट: यहाँ यादव किसी जाति विशेष के लिए नहीं कहा गया है, यह श्रीकृष्ण की सेना का नाम था। इसलिए जातिवादी हुड़दंग न मचायें।

Thursday, May 11, 2023

रिश्तों की ऑनलाइन डिलीवरी मिलेगी ?



एक युवक को अपने पिता के साथ बैंक जाना पड़ा क्योंकि उन्हें कुछ पैसे ट्रांसफर करने थे। बैंक में जाने के बाद वहां थोड़ा समय लग गया। बैंक में जब घंटा भर बीत गया तो युवक अपने आप को रोक नहीं पाया। वह अपने पिता के पास गया और बोला: पिताजी, आप अपने अकाउंट पर इंटरनेट बैंकिंग सेवाएं क्यों नहीं शुरू करवा लेते?


पिता ने पूछा: और मुझे ऐसा क्यों करना चाहिए?


बेटा बोला: यदि आप ऐसा कर लेते हैं तो आपको पैसे ट्रांसफर करने जैसे कामों के लिए बैंक में घंटों नहीं बैठना पड़ेगा। इसके बाद, आप अपनी खरीदारी भी ऑनलाइन कर सकते हैं। सब कुछ बहुत आसान हो जाएगा!


बेटा अपने पिता को इंटरनेट बैंकिंग के फायदे दिखाने को लेकर बहुत उत्साहित था।


पिता ने पूछा: अगर मैं ऐसा करता हूं, तो मुझे घर से बाहर कदम नहीं रखना पड़ेगा?


युवक ने बड़े उत्साहित होकर कहा: हां, बिलकुल। आपको कहीं नहीं जाना पड़ेगा। आपके मोबाइल पर बटन दबाकर आर्डर देने की देर है, और आपके घर पर सामान हाज़िर होगा। बेटे ने अपने पिता को बताया कि कैसे अब किराने का सामान भी घर पर पहुंचाया जा रहा है और कैसे अमेज़न जैसी कंपनियां इंसान की ज़रूरत का हर सामन घर पहुंचा देती हैं! ये सब सुनने के बाद पिता ने जो जवाब दिया उससे बेटे की जुबान पर ताला लग गया।


उसके पिता ने कहा: आज, जब से मैंने इस बैंक में प्रवेश किया है, मैं अपने चार दोस्तों से मिल चूका हूं। पैसे ट्रांसफर करवाने के दौरान मैंने बैंक के कर्मचारियों के साथ थोड़ी देर बात की और वो अब मुझे अच्छी तरह से जानते हैं। तुम्हारे जाने के बाद, मैं बिलकुल अकेला हूं। और मुझे इसी तरह की कंपनी की जरूरत है। मुझे तैयार होकर बैंक आना अच्छा लगता है। समय की दिक्कत तुम्हारी पीढ़ी को होगी, मेरे पास पर्याप्त समय है। मुझे चीज़ों की नहीं, मानवीय स्पर्श की ज़रूरत महसूस होती है।


जवाब सुनकर युवक को झटका लगा।


पिता में आगे कहा: दो साल पहले मेरी तबीयत खराब हो गई थी। जिस दुकानदार से मैं फल ख़रीदता हूँ, उसे पता चला तो वह मुझसे मिलने आया और मेरे हालचाल पूछ कर गया। तुम्हारी माँ कुछ दिन पहले मॉर्निंग वॉक के दौरान गिर पड़ी थी। तो जिस व्यक्ति से मैं किराने का सामान लेता हूँ उसने देखा तो वह तुरंत अपनी कार में तुम्हारी मां को घर छोड़कर गया। तो बेटा, अगर मैं सब कुछ ऑनलाइन लूंगा, तो क्या मेरे पास इस तरह का 'मानवीय' स्पर्श होगा?


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बेटा कुछ बोलता इससे पहले पिता ने कहा: मैं नहीं चाहता कि सब कुछ मुझ तक पहुंचाया जाए और इसके लिए मैं अपने आप को सिर्फ बेज़ुबान, बिना भावनाओं वाले कंप्यूटर से बातचीत करने के लिए सीमित और मजबूर कर लूँ। जिससे मैं कुछ खरीदता हूँ, वो मेरे लिए सिर्फ एक 'विक्रेता' नहीं, उससे मेरे मानवीय संबंध बनते हैं। और ये रिश्ते ही हमें इंसान बनाते हैं, हमारी मानवीय ज़रूरतों को पूरा करते हैं, हमें ज़िंदा महसूस करवाते हैं।


अंत में पिता ने पूछा: क्या कोई कंपनी रिश्ते भी ऑनलाइन डिलीवर करती है?


तो बात का सार ये है कि टेक्नोलॉजी से ज़िंदगी सुविधाजनक तो की जा सकती है लेकिन उसके सहारे गुजारी नहीं जा सकती। इंसान सामाजिक प्राणी है। उपकरणों के साथ कम और लोगों के साथ अधिक समय बिताएं।

Wednesday, May 10, 2023

अस्थिर पाकिस्तान भारत के लिए खतरा है ?

                 


अस्थिर पाकिस्तान भारत के लिए खतरा है, ये सबसे बड़ा झूठ रचा गया।


ये झूठ यहां के पाकिस्तान परस्तों ने उसी तरह रचा जैसे ये डराते थे कि भारत अगर पाकिस्तान पर कार्यवाही करेगा तो वो परमाणु हमला कर देंगे।


दो बार मोदी सरकार ने इस मिथक को तोड़ा है और पाकिस्तान पाव पाव भर के परमाणु बम की धमकी ही देता रह गया।


दरअसल पाकिस्तान परस्त कांग्रेस और उसके पाले "एक्सपर्ट" इस झूठ को बेचते आये हैं क्योंकि इनके अंदर का जिहादी अपने पाकिस्तानी रिश्तेदारों को तड़पता नही देख सकता। इसलिए इनकी सरकारों में न सिर्फ पाकिस्तान फलता फूलता रहा बल्कि ये लोग भी अमन की आशा के नाम पर खूब पैसा बनाये।


दूसरी तरफ, मोदी सरकार ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी जिस वजह से आज भिखारी आटे तक के लिए मोहताज हैं और आजकल अपने देश मे आग लगा रहे हैं।


रही बात परमाणु बम की तो पाकिस्तान की औकात नही कि अपने अमेरिकी बापों की रजामंदी के बिना ये उसका इस्तेमाल कर भी सकें। दूसरा, जो सोचता है कि यदि ये परमाणु बम आतंकियो के हाथ लग गए तो वो तो मरने से भी नही डरते तो ये झूठ है। ओसामा हो या बगदादी हर कोई अपनी मौत के डर से ही यहां वहां छुपा हुआ था। इस समय जितने आतंकी सरगना हैं वो भी डर के साये में ही रहते हैं। ये लोग तो बस आतंक से अपना बिजनेस चलाते हैं जिसमें आम जिहादी को बलि का बकरा बनाया जाता है। जन्नत का फ्रॉड इतना ही सच होता तो सबसे पहले ये और इनकी औलादें जिहाद को लीड कर रही होती।


तीसरा, जिस पाकिस्तान सेना की ये बात करते हैं वो खुद पूरी जिहादी फौज है। उनकी सेना का मोटो जिहाद है। उनके कई अफसर ऐसे हैं जिनके बाप या भाई घोषित आतंकी हैं, जिसका मतलब कि परमाणु बम पर तो हमेशा से जिहादी ही बैठे हैं।



पाकिस्तान परमाणु बम की सिर्फ शो बाजी करता है इस्लामिक दुनिया मे धमक दिखाने को ताकि उसकी पूछ बनी रहे। वो इसे इस्तेमाल नही कर सकता। उसे भी पता है कि इसका इस्तेमाल गलती से भी कर दिया तो वो उसकी आखरी गलती होगी और इसके बाद पाकिस्तान दुनिया के नक्शे पर नही रहेगा।


चौथा, दुनिया बैठी है ऐसी परिस्थिति के मौके में कि यदि पाकिस्तान का गृहयुद्ध इस स्तर पर जाता है कि वहां कोई तालिबानी सरकार का खतरा होता दिखा तो दुनिया विशेषकर भारत वहां वैसे ही घुसेगा जैसे अमेरिका मिडिल ईस्ट से लेकर अफगानिस्तान में घुसा था जब तक सारे परमाणु बम अपने कंट्रोल में नही ले लेता।


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इसलिए ये डर है ही नही कि पाकिस्तान के परमाणु बम आतंकियो के हाथ मे न चले जाएं। ये डर सिर्फ पाकिस्तान की औलादें दिखा रही हैं। कांग्रेस नामक उनके पालतू यहां दिखा रहे हैं जो उनके साथ मिलकर हिन्दू आतंक रचते थे। इन्हें ही दुख है कि इनके रिश्तेदार इस हालत में क्यों पहुंचाए हैं मोदी सरकार ने कि भूखे नंगे अब सेना पर हमला करने लग गए हैं।


इसलिए पाकिस्तान को खुद की मौत मरने दो और जश्न मनाओ। मोदी जी ने भी कहा था कि ये बात बात पर पाकिस्तान का राग अलापना बन्द करो और उसे उसकी मौत मरने दो।


मोदी सरकार की रणनीति यही है कि बिना बुलेट चलाये पाकिस्तान का वो हाल करो कि PoK हो या गिलगिट बाल्टिस्तान, वो सबकुछ सजाकर भारत को दे। इतना आर्थिक रूप से तोड़कर रखो कि बलोचिस्तान से लेकर अन्य भी उससे टूट जाएं।


हमे बस इतना देखना है कि भूखों की भीड़ बॉर्डर पर जमा हो यहां न घुसने लगे जैसे पूर्वी पाकिस्तान से घुसी थी। अपने बॉर्डर इस तरह सुरक्षित रखो कि एक भी भूखा नंगा यहां घुसने न पाए क्योंकि ये घुसपैठ के लिए बच्चों और महिलाओं को आगे करेंगे।





बस इतना भर सुनिश्चित करना है बाकी का काम सब अपने हिसाब से हो जाएगा। फिर रोटी भी फेंकेंगे तो अपनी शर्तों पर फेंकेंगे।


चीन तो ऐसे समय में गुर्दे कलेजे तक मांग लेता है, हम तो फिर भी अपना PoK और गिलगिट बाल्टिस्तान ही वापिस लेंगे।

Tuesday, May 9, 2023

पीके vs द केरला स्टोरी !

 



पीके फिल्म का निष्कर्ष आपको याद है...?


पीके फिल्म इस अंतिम दृश्य के साथ समाप्त हो जाती कि "मुसलमान कभी धोखा नहीं देता" सरफराज (अब्दुल) धोखेबाज नहीं हैं।


'द केरला स्टोरी' का निष्कर्ष आपको पता है? "अब्दुल धोखा देने के लिए ही प्यार करता है।" यह दोनों फिल्में एक दूसरे से एकदम विपरीत हैं।


जैसे जादूगर अपने खेल में पहले तो कबूतर, टॉर्च, कोल्ड ड्रिंक एक के बाद एक वस्तु निकालता जाता है, आपको लगता है यह जादू दिखा रहा है, लेकिन वास्तव में उसका मुख्य उद्देश्य अंतिम में दृष्टिगोचर होता है जब वह अंत में आपके सामने पैसे के लिए झोली फैला देता है।


जादूगर का उद्देश्य आपको जादू दिखाना नहीं अपितु जादू के नाम पर अपने भोजन पानी की व्यवस्था करना हैं।


ऐसे ही पीके फिल्म का जादूगर आमिर खान हिन्दुओं की कुछ रूढ़िवादी मान्यताओं, कुरीतियों, अंधविश्वास को स्पष्ट करने का जादू दिखाता है और उससे आप फूलकर कुप्पा हो जाते हैं। फिर अंत में जादूगर आमिर खान अपना असली गेम खेलता है जो कि उसका मुख्य उद्देश्य था कि "मुसलमान कभी धोखा नहीं देता" और आपको थियेटर से निकलते निकलते अंतिम निष्कर्ष ही स्मरण रहता है कि मुसलमान कभी धोखा नहीं देता। यह सब साधु संत ही हमारे समाज में मुसलमानों के विरोध में विषैला वातावरण निर्मित कर रहे है।


साधु-संतों प्रचारकों, विद्वानों के द्वारा लव जिहाद के विरोध में फैलाई जा रही जागरूकता से परेशान होकर ही राजकुमार हीरानी और आमिर खान जैसे लोगों ने हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवाश करने के लिए ही पीके फिल्म की ऐसी पटकथा लिखी, जिसमें संतों को विलेन और अब्दुल को हीरो प्रमाणित किया जा सके जो कि फिल्म का मुख्य उद्देश्य था और उसमें वे बहुत सीमा तक सफल भी रहे।


परन्तु पीके द्वारा फैलाई गई भ्रांति का निवारण 'द केरला स्टोरी' के द्वारा बहुत ही उत्तम ढंग से किया गया है।


सभी समाज सुधारक लोग हिन्दू लड़कियों को जितना जागरूक नहीं कर पाए उससे कहीं ज्यादा अकेली फिल्म पीके ने लव जिहाद को प्रोत्साहित किया।


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और अब ऐसे ही एक ओर सभी सनातनी प्रचारक जितना कार्य करेंगे उससे कहीं अधिक एक ओर अकेली फिल्म 'द केरला स्टोरी' जागरूक करेगी, क्योंकि लोग आजकल स्क्रीन से ही‌ बहुत कुछ सीखते हैं।


पीके द्वारा फैलाए गए लव जिहाद के कीड़े को अपने फिनायल से तडपा- तड़पाकर मारने वाली फिल्म सिद्ध होगी।

Sunday, May 7, 2023

West bengal burning to ashes !!





 संघ को 96 वर्ष लगे हैं अंग्रेजों की बनाई कांग्रेस को राजनीतिक विकलांग करने में... कांग्रेसिया कोख के अवैध गर्भ से पैदा हुए क्षेत्रीय दलों को भी राजनीतिक विकलांग करने में 10-15 वर्षों का समय तो लगेगा ही.....!!


बंगाल वामपंथियों का अभेद किला था... वामपंथियों के बंगाल में राष्ट्रवादियों के लिए कोई जगह नहीं थी... उसमें सेंधमारी करके पिछली बार वामपंथियों की 77 सीट थी लेकिन 2021 में वामपंथियों को एक भी सीट नहीं मिली है जबकि 3 सीट वाली BJP 77 सीटों पर कब्जा जमा चुकी है...


10 साल तक मुख्यमंत्री रही ममता बनर्जी स्वयं BJP के शुभेंदु अधिकारी के हाथों पराजित कर दी गई है...


1200 सालों से गद्दारों द्वारा पराजित किया गया हिन्दुओ का देश एकाएक विजयी नहीं हो सकता... धैर्य रखें... राष्ट्रवाद की जीत होकर रहेगी... 5 सालों में बहुत कुछ घटेगा... अगर ग़द्दार डाल डाल है तो मोदी पात पात...


रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों, हरामखोर व मुफ्तखोरी की लत के शिकार गद्दारों की जमातों ने मिलकर बंगाल में TMC को जीता दिया है... मगर मोदी का खेला अभी शुरू होगा... जैसे कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश करके संवैधानिक प्रावधानों का इस्तेमाल किया था मोदी ने... वैसे ही जल्द ही अब बंगाल में भी एक बहुत बड़ा खेला होगा...!


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मोदी अपराजित योद्धा है... मूर्ख व लालची वोटरों की खरीद फरोख्त से गद्दारों द्वारा जीती गई सत्ता को मोदी ज्यादा समय तक काबिज नहीं रहने देगा... कोई भी हिन्दू निराश न हों... बंगाल के जागृत देशभक्ति से सराबोर हिन्दुओ को नमन करता हूँ कि उन्होंने रक्तपात की बहती नदियों के बीच निडरता से अपने जीवन की आहुति दांव पर लगाकर 3 सीट से मोदी को 77 से ज्यादा सीटों पर विजय दिला दी... बंगाल मे बहे एक एक भगवा रक्त के कतरे का हिसाब होगा...!!


जिस बंगाल में आजादी के बाद से ही गद्दारों का एक छत्र शासन रहा हो वहाँ मोदी के हाथ मजबूत करने के लिए फौलाद का सीना चाहिए था और बंगाल के मेरे हिन्दू भाई बहनों ने ये साहस दिखाया है... मोदी को वोट देने वाले सभी हिन्दुओ को मैं नतमस्तक हो प्रणाम करता हूँ... वो एक भी हिन्दू निराश न हो... उन्होंने जिस मोदी पर भरोसा करके BJP को वोट दिया है वो मोदी संविधान का इस्तेमाल करना गद्दारों से लाख गुना ज्यादा जानता है...


धैर्य रखें... सिर्फ हरामखोरों की सांठगांठ से चुनाव जीतने मात्र से हिन्दुओ को हारने नहीं देगा मोदी... लोकसभा व राज्यसभा में मोदी ने अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है और जल्द ही अब असली मोदी अपना खेला शुरू करेगा... ये संघ से निकला हुआ राष्ट्रहितैषी, राष्ट्रवादी कछुआ है... जो खरगोश की तेज व कुटिल चाल को अच्छी तरह से समझता है...


मोदी को न ग़द्दार बंगाल में रोक पाएंगे और न ही दिल्ली में... मोदी अब अपने लक्ष्य की ओर तेज रफ्तार से बढ़ेंगे... सभी 31 दिसंबर2023 तक धैर्य रखें... राष्ट्रवाद की राह कांटों भरी जरूर है परंतु संघ की राष्ट्रवादी भट्टियों में तपकर निकला मोदी जैसा पथिक अपनी राह से डिगने वाला नहीं...


धैर्य रखें... असली खेला तो अब शुरू होगा...! बंगाल के निर्णय से विचलित न हो हिन्दू... इस हार से जाग्रत हिन्दुओ की दशा अब घायल सिंह की तरह हुई है जो पहले से ज्यादा खतरनाक रूप से हिन्दू जागरण में तल्लीन होगा... हताश यौद्धा कभी भी जंग का रुख नहीं मोड़ सकता है... मोदी का लक्ष्य सिर्फ राज्यों तक सीमित नहीं है उसका लक्ष्य कहीं ज्यादा बड़ा व विशाल है जिसको प्राप्त करने की तैयारियां मोदी युद्धस्तर पर कर रहे हैं...!!


उन सभी हिन्दुओ को प्रणाम... जो चट्टानों की तरह मोदी के साथ खड़े हैं....धैर्य रखें... मोदी के संवैधानिक तरकस में अभी बहुत से कानूनी प्रकल्पों रूपी अकाट्य अमोघ तीर बाकी हैं... जिसका इस्तेमाल जल्द करेगा मोदी...!!

मणिपुर हिंसा का पूरा सच !!



 मणिपुर हिंसा का पूरा सच!! हर भारतीय सच्चाई जानिए... क्या कहानी है!

खासकर सभी दलित भाई और आदिवासियों को पढ़ना चाहिए :

म्यांमार से जुड़ा अवैध प्रवासी मणिपुर के कुकी और नागा जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, कहा जा रहा है कि सरकार इन्हें सरकारी ज़मीन पर अफ़ीम की खेती करने से रोक रही है, पहला हिंसक विरोध प्रदर्शन 10 मार्च को हुआ था, जब कुकी गाँव से अवैध प्रवासियों को निकाला गया था!
पहाड़ी जिलों में नागा और कुकी जनजातियों का वर्चस्व है, हालिया हिंसा चुराचांदपुर पहाड़ी जिलों में ज्यादा देखी गई, यहां पर रहने वाले लोग कुकी और नागा ईसाई धर्म से हैं, बता दें कि चार पहाड़ी जिलों में कुकी जाति का प्रभुत्व है!
मणिपुर में 16 जिले हैं, राज्य की जमीन इंफाल घाटी और पहाड़ी जिलों के तौर पर बंटी हुई है। इंफाल घाटी मैतेई बहुल हैं, मैतई जाति के लोग हिंदू समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को अनुसूचित जाति दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में निकाले गए मार्च में हिंसा भड़क गई थी!
मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है, इसमें मैतेई (हिंदू दलित) समुदाय के लोग लगभग 53 फीसद हैं, मणिपुर के भूमि क्षेत्र का लगभग 10% हिस्सा इन्हीं लोगों के कब्जे में हैं, ये लोग मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं, कुकी (ईसाई) जातीय समुह मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही है!
कुकी (ईसाई) जनजाति मैतेई (हिंदू आदिवासी) समुदाय को आरक्षण देने का विरोध करती आई है, इन जनजातियों का कहना है कि अगर मैती समुदाय को आरक्षण मिल जाता है तो वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे, कुकी जनजातियों का ऐसा मानना है कि आरक्षण मिलते ही मैतेई लोग अधिकांश आरक्षण को हथिया लेंगे!
पिछले 10 सालों से मैतेई समुदाय के लोग जो कि हिंदू आदिवासी धर्म को मानते हैं यह आरक्षण की मांग कर रहे थे लेकिन किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया लेकिन तत्कालीन भाजपा सरकार की पहल से और केंद्र सरकार ने सिफारिश किया तब इन्हें आरक्षण का अधिकार मिला!
जिसका विरोध कुकी और नागा समुदाय (ईसाई) के लोग कर रहे हैं और यही दो धर्मों के बीच हिंसा की मुख्य वजह है और भाजपा किसके साथ है यह सब कुछ समझ में होना चाहिए भाजपा ने कभी भी हिंदुओं का साथ नहीं छोड़ा है!
मैतेई जाति के लोगों का ये कहना है कि ST दर्जे का विरोध सिर्फ एक दिखावा है, कुकी आरक्षित वन क्षेत्रों में बस्तियां बना कर अवैध कब्जा कर रहे हैं, पहाड़ी और कस्बों के इलाके में कई जनजातियों द्वारा कब्जा की गई जमीनों को भी खाली कराया जा रहा है, जमीनों पर ज्यादातर कुकी समूह के लोग रहते हैं, यही वजह है कि चुराचंदपुर इलाके से हिंसा भड़की, यह कुकी बहुल है!
उत्तर भारत के ज्यादातर हिंदी भाषी लोगों को नॉर्थ ईस्ट के बारे में जानकारी नहीं है जिस वजह से कुछ राजनेताओं द्वारा लोगों को भड़काया जा रहा है और वह अपने ही हिंदू आदिवासी भाइयों को नहीं पहचान पा रहे हैं, यह जो मैंने पूरा लिखा है पूरा तथ्य के आधार पर है और यही कड़वी सच्चाई है तो कहीं से भी भाजपा को दोष देना उचित नहीं है, भाजपा आज भी अपने हिंदू दलित और आदिवासी भाइयों के साथ खड़ी है और खड़ी रहेगी!
आरक्षण जो आपको मिला है मणिपुर में उसका कोई भी हिंदू विरोध नहीं कर रहा है, वहां पर विरोध इसाई कर रहे हैं और आपको मार भी ईसाई रहे हैं, इसलिए अभी भी वक्त है अपनों को पहचानिए और अपनों के साथ रहे!

Saturday, May 6, 2023

लवणासुर अपनी अय्याशी की पोलखोल......

 




दो दिन पहले तक प्रेस फ्रीडम का र-रोना करने वालों को आज एक पत्रकार की झूठी गिरफ्तारी पर सांप सूंघ गया है। दिल्ली की पत्रकार को लुधियाना में किसी की जाति कैसे पता चल गई जो वो जातिसूचक गालियां देगी?


लवणासुर अपनी अय्याशी की पोलखोल से इतना डर गया कि फर्जी रैश ड्राइविंग के केस में एक पत्रकार को जेल भेज गया।


उसके टुकड़ो पर पलने वाले पत्रकायर सब चुप हैं। ऊपर से लवणासुर के अंडे इस टाइम्स नाउ की महिला पत्रकार को भाजपा का पत्रकार बता रहे हैं।


कल पहले तो इस महिला को पुरुष पुलिस वाले किडनैपिंग स्टाइल में उठा ले जाते हैं। शाम तक इसकी सूचना तक नही देते और फिर रात में इसपर केस लगा इसे जेल भेज देते हैं। मिंया लार्ड भी इस देश के ऐसे ही हैं जिन्हें ये कुछ नही दिखता और वो इसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज देते हैं।


टुच्चा लवणासुर इसीलिए छाती कूटता था कि दिल्ली पुलिस उसके हाथ मे नही है। उसे असल मे इसीलिए पुलिस चाहिए थी ताकि वो अपने सारे कुकर्म इस तरह डराकर छुपा सके।


वो दिल्ली का दरबारी एडिटर्स गिल्ट भी पता नही किस बिल में छुप गया जो बीबीसी जैसों के लिए तुरन्त कपड़े फाड़ रोने लगता है।

Thursday, May 4, 2023

बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी...

 




बाप नम्बरी बेटा दस नम्बरी...


सोनिया गांधी के द्वारा अरबों रुपये खर्च करके, उपवास करने व भूखे रहने के एक्सपर्ट अन्ना हजारे को रामलीला मैदान में एक सुनियोजित तरीके से आयोजित जनलोकपाल बिल लाने की आड़ में किये गए आंदोलन के अवैध कांग्रेसिया गर्भ से पैदा करवाए गए अरविंद केजरीवाल नामक वामपंथी गिद्ध ने झूठ, बेईमानी व हरामखोरी में कांग्रेसिया नकली गाँधीयो को भी पटखनी दे दी है...


कांग्रेस के द्वारा पैदा किया गया राजनीतिक बहरूपिया कांग्रेस से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है हिन्दूओ के लिए...


सावधान रहें हिन्दूओ.... यह सब लोग एक ही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के हैं... जिस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मालकिन सोनिया गांधी हैं।


BJP व मोदी के हाथों में सत्ता जाने से रोकने के लिए अन्ना हजारे जैसे सफेद टोपिबाजों को मोटी रकम खर्च करके खरीदते हुए अभी 2024 तक बहुत से फर्जी आंदोलन करवाएगी... सोनिया गांधी पर्दे के पीछे रहकर...


मोदी भी यह सब कुछ जरूर जानते हैं... परन्तु मोदी चाहते हैं कि जो भी धन सोनिया गांधी ने इटली से आने के बाद राजीव गांधी की हत्या करवाने के बाद लूटा है भारत में से... वो सब धन भारत में कांग्रेसिया समर्थको पर खर्च करवाने में लगवा रहे हैं... इसलिए 2014 के बाद से लगातार आयोजित किए जा रहे आंदोलनों पर एक बार भी मोदी सरकार ने किसी भी तरह की सख्ती नहीं दिखाई है...


भले ही आंदोलनों में शराब परोसी जाती रही... भले ही सेक्सबाजी के लिए कॉलगर्ल उपलब्ध कराई गई... भले ही काजू बादाम, अखरोट, किसमिस के हलवे खिलाए गए... भले ही मसाज पार्लर की मशीनें लगवाई गई... भले ही शाही बिरयानी परोसी गई... भले ही तरह तरह के सामाजिक कार्यकर्ता खरीदकर उनसे मोदीविरोधी बयान दिलवाए गए... भले ही भारत से बाहर विदेशों में मोदी को बदनाम करने के आंदोलन चलवाए गए...


मगर मोदी लगातार खामोश रहे... क्योंकि मोदी अच्छी तरह से जानते हैं कि कांग्रेसिया खजाने पर पलकर खड़े हुए क्षेत्रीय दलों के मालिक एक फूटी कौड़ी अपनी जेब से खर्च नहीं करने वाले... वो सभी राजनीतिक क्षेत्रीय दल अपने अपने राज्यों में चलाए जा रहे मोदीविरोधी आंदोलनों के लिए सोनिया गांधी से ही धन उगाहेंगे...


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मेरा दावा है कि 2014 के बाद मोदीविरोधी सभी प्रकार के आंदोलनों में आंदोलनकारियों पर जितना भी खरबों रुपयों का धन खर्च किया गया है वो सब धन सोनिया गांधी के खजाने से ही उपलब्ध कराया गया है अलग अलग लोगों को मंचो पर बिठाकर...


लगातार लुटती सोनिया गांधी ने जानबूझकर खड़गे को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है और उसे मोदीविरोधी जहरीले बयान देने का गुप्त आदेश दिया है... खड़गे की अगुवाई में धनाढ्य राज्यों केरला, आंध्रा, तमिलनाडु जैसे स्थानों से धन उगाही करते हुए भविष्य के आंदोलन के लिए धन इकट्ठा करने का काम दे दिया है... अब सोनिया गांधी अपने गांधी खानदान के खजाने से धन खर्च करने से बच रही है... पिछले 9 वर्षों में अकूत धन सोनिया गांधी का मोदी ने खामोश रहकर खर्च करवा दिया है आंदोलन में आंदोलनकारियों को मौज मस्ती करवाने में...


अब सोनिया गांधी चाहती है कि कांग्रेसिया गटर के समर्थक गांधीवादी अन्ना हजारे के अवैध गर्भ से पैदा करवाए गए अरविंद केजरीवाल आगे के मोदीविरोधी आंदोलनों के लिए मुस्लिम देशों से रोहिंग्या व बांग्लादेशी घुसपैठियों को दिल्ली में बसाने की कीमत वसूले... और घुसपैठियों के नाम पर इस्लामिक देशों से धन उगाहे और मोदीविरोधी आंदोलनों में खर्च करे...


समय बड़ा विकट परिस्थितियों का आने वाला है... मोदीविरोधी सभी हिन्दूनामधारी राजनीतिक दलों के नेताओं ने हिन्दूओ के वोटों को जातिवाद में बांटने के लिए अंतिम बार सोनिया गांधी से जॉर्ज सोरोस का भेजा गया 100 अरब रुपया प्राप्त कर लिया है शायद...


11 महीने बचे हैं लोकसभा चुनावों में... तब तक हिन्दूओ के वोटों को बांटने के लिए तरह तरह के षड्यंत्र रचाये जाएंगे...


हिन्दूओ सावधान रहें... 2024 मोदी जीत गए तो समझ लेना कि हिन्दूओ ने विश्व जीत लिया...


प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार!

प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार! अभी कितना और करेंगे पापाचार? राम मंदिर निर्माण में जितना...