Tuesday, May 16, 2023

गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ?




हमारे सनातन संस्कृति परम्परा के गुरुकुल मे क्या क्या पढ़ाई होती थी! आर्यावर्त के गुरुकुल के बाद ऋषिकुल में क्या पढ़ाई होती थी ये जान लेना आवश्यक है। इस शिक्षा को लेकर अपने विचारों में परिवर्तन लायें और प्रचलित भ्रांतियां दूर करें!


01 अग्नि विद्या (Metallurgy)

02 वायु विद्या (Flight)

03 जल विद्या (Navigation)

04 अंतरिक्ष विद्या (Space Science)

05 पृथ्वी विद्या (Environment)

06 सूर्य विद्या (Solar Study)

07 चन्द्र व लोक विद्या (Lunar Study)

08 मेघ विद्या (Weather Forecast)

09 पदार्थ विद्युत विद्या (Battery)

10 सौर ऊर्जा विद्या (Solar Energy)

11 दिन रात्रि विद्या

12 सृष्टि विद्या (Space Research)

13 खगोल विद्या (Astronomy)

14 भूगोल विद्या (Geography)

15 काल विद्या (Time)

16 भूगर्भ विद्या (Geology Mining)

17 रत्न व धातु विद्या (Gems & Metals)

18 आकर्षण विद्या (Gravity)

19 प्रकाश विद्या (Solar Energy)

20 तार विद्या (Communication)

21 विमान विद्या (Plane)

22 जलयान विद्या (Water Vessels)

23 अग्नेय अस्त्र विद्या (Arms & Ammunition)

24 जीव जंतु विज्ञान विद्या (Zoology Botany)

25 यज्ञ विद्या (Material Sic)


ये तो बात हुई वैज्ञानिक विद्याओं की। अब बात करते हैं व्यावसायिक और तकनीकी विद्या की!


26 वाणिज्य (Commerce)

27 कृषि (Agriculture)

28 पशुपालन (Animal Husbandry)

29 पक्षिपलन (Bird Keeping)

30 पशु प्रशिक्षण (Animal Training)

31 यान यन्त्रकार (Mechanics)

32 रथकार (Vehicle Designing)

33 रत्नकार (Gems)

34 सुवर्णकार (Jewellery Designing)

35 वस्त्रकार (Textile)

36 कुम्भकार (Pottery)

37 लोहकार (Metallurgy)

38 तक्षक

39 रंगसाज (Dying)

40 खटवाकर

41 रज्जुकर (Logistics)

42 वास्तुकार (Architect)

43 पाकविद्या (Cooking)

44 सारथ्य (Driving)

45 नदी प्रबन्धक (Water Management)

46 सुचिकार (Data Entry)

47 गोशाला प्रबन्धक (Animal Husbandry)

48 उद्यान पाल (Horticulture)

49 वन पाल (Horticulture)

50 नापित (Paramedical)


यह सब विद्या गुरुकुल में सिखाई जाती थी, पर समय के साथ गुरुकुल लुप्त हुए तो यह विद्या भी लुप्त होती गयी! आज मैकाले पद्धति से हमारे देश के युवाओं का भविष्य नष्ट हो रहा तब ऐसे समय में गुरुकुल के पुनः उद्धार की आवश्यकता है।


भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये? कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद। 1858 में इंडियन एजुकेशन एक्ट बनाया गया। इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकाले’ ने की थी। उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी। अंग्रेजों का एक अधिकारी था जी.डब्ल्यू. लूथर और दूसरा था थॉमस मुनरो! दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग अलग समय सर्वे किया था। लूथर, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है और मुनरो, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है।

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मैकाले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से अंग्रेज पैदा होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे।


मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है, “कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा और अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था लानी होगी।” इस लिए उसने सबसे पहले गुरुकुलों को गैरकानूनी घोषित किया। जब गुरुकुल गैरकानूनी हो गए तो उनको मिलने वाली सहायता जो समाज की तरफ से होती थी वो गैरकानूनी हो गयी। फिर संस्कृत को गैरकानूनी घोषित किया और इस देश के गुरुकुलों को घूम घूम कर ख़त्म कर दिया। उनमें आग लगा दी, उसमें पढ़ाने वाले गुरुओं को उसने मारा पीटा, जेल में डाला।


1850 तक इस देश में ’7 लाख 32 हजार’ गुरुकुल हुआ करते थे और उस समय इस देश में गाँव थे ’7 लाख 50 हजार’। मतलब हर गाँव में औसतन एक गुरुकुल और ये जो गुरुकुल होते थे वो सब के सब आज की भाषा में ‘उच्‍चतर शिक्षा संस्थान’ हुआ करते थे। उन सबमें 18 विषय पढ़ाये जाते थे और ये गुरुकुल समाज के लोग मिल के चलाते थे न कि राजा, महाराजा।


गुरुकुलों में शिक्षा निःशुल्क दी जाती थी। इस तरह से सारे गुरुकुलों को ख़त्म किया गया और फिर अंग्रेजी शिक्षा को कानूनी घोषित किया गया और कलकत्ता में पहला कॉन्वेंट स्कूल खोला गया। उस समय इसे ‘फ्री स्कूल’ कहा जाता था। इसी कानून के तहत भारत में कलकत्ता यूनिवर्सिटी बनाई गयी, बम्बई यूनिवर्सिटी बनाई गयी, मद्रास यूनिवर्सिटी बनाई गयी, ये तीनों गुलामी ज़माने के यूनिवर्सिटी आज भी देश में हैं!


मैकाले ने अपने पिता को एक चिट्ठी लिखी थी बहुत मशहूर चिट्ठी है वो, उसमें वो लिखता है कि: “इन कॉन्वेंट स्कूलों से ऐसे बच्चे निकलेंगे जो देखने में तो भारतीय होंगे लेकिन दिमाग से अंग्रेज होंगे और इन्हें अपने देश के बारे में कुछ पता नहीं होगा। इनको अपने संस्कृति के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने परम्पराओं के बारे में कुछ पता नहीं होगा, इनको अपने मुहावरे नहीं मालूम होंगे, जब ऐसे बच्चे होंगे इस देश में तो अंग्रेज भले ही चले जाएँ इस देश से अंग्रेजियत नहीं जाएगी।” उस समय लिखी चिट्ठी की सच्चाई इस देश में अब साफ़-साफ़ दिखाई दे रही है और उस एक्ट की महिमा देखिये कि हमें अपनी भाषा बोलने में शर्म आती है। अंग्रेजी में बोलते हैं कि दूसरों पर रोब पड़ेगा। हम तो खुद में हीन हो गए हैं जिसे अपनी भाषा बोलने में शर्म आ रही है, दूसरों पर रोब क्या पड़ेगा।


लोगों का तर्क है कि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है। दुनिया में 204 देश हैं और अंग्रेजी भाषा सिर्फ 11 देशों में बोली, पढ़ी और समझी जाती है, फिर ये कैसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा हैॽ शब्दों के मामले में भी अंग्रेजी समृद्ध नहीं दरिद्र भाषा है। इन अंग्रेजों की जो बाइबिल है वो भी अंग्रेजी में नहीं थी और ईशा मसीह अंग्रेजी नहीं बोलते थे। ईशा मसीह की भाषा और बाइबिल की भाषा अरमेक थी। अरमेक भाषा की लिपि जो थी वो हमारे बंगला भाषा से मिलती जुलती थी। समय के कालचक्र में वो भाषा विलुप्त हो गयी।


संयुक्तराष्टसंघ जो अमेरिका में है वहां की भाषा अंग्रेजी नहीं है, वहां का सारा काम फ्रेंच में होता है। जो समाज अपनी मातृभाषा से कट जाता है उसका कभी भला नहीं होता और यही मैकोले की रणनीति थी! जिसमें लगभग वो विजय पा चुके क्योंकि आज का युवा भारत को कम यूरोप को ज्यादा जनता है। भारतीय संस्कृति को ढकोसला समझता है लेकिन पाश्चात्य देशों की नकल करता है। सनातन धर्म की प्रमुखता और विशेषता को न जानते हुए भी वामपंथियों का समर्थन करता है।


सभी बन्धुओं से एक चुभता सवाल हम सभी को धर्म की जानकारी होनी चाहिये। क्योंकि धर्म ही हमें राष्ट्र धर्म सिखाता है, धर्म ही हमे सामाजिकता सिखाता है, धर्म ही हमे माता पिता,  गुरु और राष्ट्र के प्रति प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा देता है। सनातन परंपरा एक आध्यात्मिक विज्ञान है, जिस विज्ञान को हम सभी आज जानते हैं उससे बहुत ही समृद्ध विज्ञान ही अध्यात्म है.

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