मैने कल बहुत सारे निजी स्कूलों में फीस की जानकारी ली ।तो वार्षिक शुल्क 40,000 से लेकर ₹100000 वार्षिक तक स्कूल प्रमुख ने बताए।और यह फीस नर्सरी से लेकर पहली कक्षा तक लगभग सभी स्कूलों में इतनी ही बताई गई, और आगे बालक/बालिका जितनी ऊंची कक्षा में जायेगा, फीस और बढ़ेगी ही।
तब मुझे विचार आया कि 17 साल तक स्कूलों में इतनी फीस भरने के ,बाद भी नौकरी की कोई गारंटी नहीं है और (+2 के बाद कोर्सेज की फीस अलग।) बालक/बालिका पूर्णतः योग्य हो जायेगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। फिर वह विदेशों मे नोकरी तलाश करेगा और सफल रहा तो आपको छोड़ कर विदेश में जा बसेगा। तो मुझे लगा कि यदि हर साल जितनी फीस ये स्कूल मांगते हैं,
इतनी फीस के रिलायंस , एचडीएफसी ,कोटक,बिरला नीपोन ,यूटीआई ,केनेरा आदि किसी भी अच्छी कंपनी के म्यूच्यूअल फंड स्कीम में हर वर्ष एक लाख के यूनिट खरीद लिये जायें,और बच्चों को शासकीय विद्यालय में प्रवेश दिला दें।वहां भी योग्य शिक्षक होते हैं और विद्यार्थी अगर इंटेलिजेंट है तो वहां से भी वह श्रेष्ठ ज्ञान प्राप्त कर सकता है ।
तो हम कान्वेंट में और दूसरे शो वाले स्कूलों में इतनी फीस क्यों दें !
यदि यह फीस हर साल एक लाख रुपये म्यूचुअल फंड में जमा की जाये तो 17 साल बाद उस बालक के खाते में कम से कम डेढ़ करोड़ और ज्यादा से ज्यादा 21 करोड़
की रकम जमा होगी और उसे कहीं नौकरी करने की जरूरत नहीं पड़ेगी । (कहीं और भी जमा कर सकते है)
बल्कि वह इतना सक्षम होगा कि अपना स्वयं का उद्योग स्थापित कर लोगों को नौकरी दे सकेगा ।
माता-पिता इस पर गंभीरता से विचार करें और यदि अच्छा लगे तो इसको उपयोग में लें'!
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