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बिहार में जाति जनगणना का कोड लिस्ट जारी हुआ है। आश्चर्य होगा जानकर कि इसको लेकर बिहार में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
दरअसल इस लिस्ट में एक तरफ जाति का नाम और दूसरी तरफ उस जाति के लिए निर्धारित एक संख्यात्मक कोड होता है। इस सूची को लोग व्हाट्सएप से व्हाट्सएप शेयर कर रहे हैं। चर्चा कर रहे हैं, देखो तुम्हारा कितना कोड है, मेरा कितना। इससे पहले वाली सूची में तो कोड इतना था, इस बार ज्यादा हो गया है। इस बार कम हो गया है।
जातियों के कोड पर चर्चा इस प्रकार हो रही है जैसे यह जाति का कोड नहीं, किसी प्रतियोगिता परीक्षा में प्राप्त हुआ रैंक हो। सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट हो रहा हो जैसे संबंधित जाति का कोड उसका कोई मेधा रैंक हो। उत्साह ऐसे जैसे इस रैंक को पाने के लिए वर्षों की मेहनत लगी हो। उत्साह हो भी क्यों ना, जाति जनगणना कराने को लेकर बिहार की राजनीति ने पर्याप्त प्रयास किया ही है। उसके बाद ही जाकर इसमें सफलता हासिल हुई है।
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कश्मीर में राजनीति आजादी के नाम पर हुआ। पंजाब में राजनीति खालिस्तान के नाम पर हुआ। दिल्ली में राजनीति फ्रीवीज के नाम पर हुआ। उत्तर प्रदेश में राजनीति बाबरी ढांचे के नाम पर हुआ। और जानते हैं बिहार में राजनीति किस नाम पर हुआ? सारे राज्य तो अपनी अपनी गंदी राजनीति को भूलकर थोड़ा या ज्यादा विकास की ओर रुख कर चुके हैं। लेकिन बिहार की तेजस्वी राजनीति आज भी भारत को ललकार रही है, मोदी जी आप भी पूरे देश में जाति जनगणना कराइए, जैसे बिहार में कराया जा रहा है।
सोचिए। इस लज्जा की बात में भी बिहार को कितने गर्व की ललकार है। लोग इस गलतफहमी में ना रहें कि तेजस्वी की आवाज उसकी व्यक्तिगत आवाज है। तेजस्वी आज बिहार की आवाज ही बोल रहा है। आप बात करके देखें, तेजस्वी के वोटरों से। उसे अपने दामाद की तरह मानते हैं। भाजपा ने सोचा था लालू राज का खात्मा बिहार में जातिवादी राजनीति का अंत है। लेकिन बहुमत बिहार ने दिखा दिया है, भाजपा गलतफहमी में ना रहे। तेजस्वी उनका नेता नहीं, नेता से बढ़कर है।
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