Thursday, October 20, 2022

कांग्रेस और वामपंथियों का कंधा आपको सिर्फ़ अमानुष और वोट बैंक बनाता है।



कांग्रेस और वामपंथियों का कंधा आपको सिर्फ़ अमानुष और वोट बैंक बनाता है।

भारत में अगर हिंदू-मुस्लिम भाई चारा जो सचमुच होता, गंगा-जमुनी तहज़ीब का जो अस्तित्व होता तो अयोध्या में राम जन्म-भूमि, काशी में विश्वनाथ मंदिर, मथुरा में कृष्ण जन्म-भूमि जैसे विवाद चुटकी बजाते ही खत्म हो जाते। पर यह भाई-चारा, गंगा-जमुनी तहज़ीब जैसे शब्द हिप्पोक्रेसी के हिमालय हैं, एकतरफा हैं। इस लिए यह समस्याएं न सिर्फ विवाद के भंवर में पड़ती हैं बल्कि देश के अमन-चैन में ख़ासा खलल डालती हैं। अयोध्या में तो पुराना अब कुछ रहा नहीं पर जब था, तब मैं गया हूं कई बार। पूरा ढांचा मंदिर ही की तरह था। चारो तरफ मंदिर ही मंदिर। सीता रसोई, कनक भवन, हनुमान गढ़ी वगैरह। तमाम सारे साक्ष्य चीख-चीख कर बताते थे कि यह मस्जिद नहीं, मंदिर है। वजू करने के लिए वहां कोई कुआं भी नहीं था, जो अमूमन मस्जिद के बगल में हुआ करता था। पुरातत्व की खुदाई में भी तमाम तथ्य सिद्ध हुए, मंदिर के पक्ष में। बहरहाल वह विवाद सुप्रीम कोर्ट की रौशनी में अब समाप्त है।

खैर, आप अब भी जब कभी मथुरा जाइए और कृष्ण जन्म-भूमि पर जाइए तो पाएंगे कि मंदिर और मस्जिद की दीवार एक है। पूरा मंदिर एक छोटा सा दड़बा है। जिस में एक बेड भी नहीं रख सकते। और बगल में विशाल मस्जिद। दिल्ली के जामा मस्जिद के मानिंद। तो क्या कंस की जेल इतनी छोटी थी? जो भी हो, तथ्य चीख-चीख कर बताते हैं कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई है। जो भी हो अब यह मामला भी अदालत में है। सारे साक्ष्य मंदिर के पक्ष में हैं। फ़ैसला जब आएगा, तब फिर यह दिखेगा ही।
आप जाइए न काशी में कभी विश्वनाथ मंदिर। वहां तो मंदिर से सटे ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबद भी मंदिर वाले दिखते हैं। भीतर भी सब कुछ मंदिर सरीखा ही है। पूरी मस्जिद चीख-चीख कर कहती है, मैं मंदिर हूं, मैं मंदिर हूं। लेकिन भाईचारा और गंगा-जमुनी तहज़ीब के अलंबरदार और इस की हिप्पोक्रेसी के सरताज लोगों को कुछ नहीं दिखता। दिखता है तो संघ, हिंदुत्व और भाजपा की साज़िश।

तो क्या कश्मीर में लाखों कश्मीरी पंडितों को बेघर करने, उनकी स्त्रियों के साथ बलात्कार, हत्या, लूटपाट और तमाम मंदिरों को तोड़ कर नदियों में बहा देने में भी क्या यही हिंदुत्ववादी, भाजपाई और संघी थे? लेकिन सवाल यहां यह भी ज़रूर मौजूद है कि फ़्रांस में कौन सा संघ, हिंदुत्व और भाजपा है। जहां एक टीचर की हत्या उसका एक विद्यार्थी कर देता है। असहिष्णुता एक कार्टून पर बौखला जाती है। फ़्रांस ही क्यों, पूरे यूरोप, अमरीका, चीन, आदि-इत्यादि समेत इस्लामिक देशों में भी हर जगह यह सिलसिला जारी है। मतलब है कोई ज़रूर जो न सिर्फ भारत में बल्कि समूची दुनिया में भाई-चारा और गंगा-जमुनी तहज़ीब को निरंतर न सिर्फ तार-तार कर रहा है बल्कि दुनिया में अमन-चैन के लिए मुसलसल खतरा बना हुआ है।
अब से सही इस समाज को अपनी कट्टरता, जहालत और हिंसा से छुट्टी लेकर पूरी दुनिया की मुख्य धारा में शामिल हो जाना चाहिए। हिंसा और कट्टरता पूरी तरह दुनिया के लिए ठीक नहीं है। इस बात को जितनी जल्दी हो सके समझ लेना चाहिए और मनुष्यता में यकीन करना सीख लेना चाहिए। किसी न किसी बहाने पूरी दुनिया को हिंसा के अंगार पर झुलसाए रखना गुड बात नहीं है। मनुष्यता को गाय की तरह काटना और खाना बंद भी कीजिए। अपनी आस्था के साथ-साथ दूसरों की आस्था और मनुष्यता का सम्मान करना भी सीखिए। बहुत हो गया कबीलाई संस्कृति में जीना, मारना और काटना। तालिबानी होना मनुष्यता का दुश्मन होना है। सो अपनी गलतियों के लिए शर्मिंदा होना भी सीखिए और गलतियों को सुधारना भी। इसलिए भी कि आपकी पहचान में अब हिंसा और कट्टरता ही शुमार है।
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कांग्रेस और वामपंथियों के चढ़ाने पर हरगिज मत चढ़िए। क्योंकि उनका कंधा आपको सिर्फ़ अमानुष और वोट बैंक बनाता है। कुछ और नहीं। वोट बैंक और अमानुष होने से फुर्सत लीजिए। सच को सच की तरह स्वीकार करना सीखिए। इसलिए भी कि कट्टरता और हिंसा मनुष्यता के दुश्मन हैं। जितनी जल्दी संभव बने इस तथ्य को स्वीकार कर लें। दुनिया और भारत की मुख्य धारा में शामिल होइए। सिर्फ़ वोट बैंक नहीं हैं आप। हाड़ और मांस का लोथड़ा भर नहीं हैं आप। मनुष्य हैं आप। मनुष्य की तरह जीना सीखिए। जानवर की तरह नहीं। तुलसीदास लिख ही गए हैं:

बड़े भाग मानुष तन पावा। सुर दुर्लभ सद् ग्रन्थन्हि गावा।।
साधन धाम मोक्ष कर द्वारा। पाई न जेहिं परलोक सँवारा।।
गरज यह कि मनुष्य जीवन बहुत भाग्य से मिला है। यह देवताओं को भी दुर्लभ है, इसलिए वो भी मानव शरीर प्राप्त करने के लिए लालायित रहते हैं। यह मोक्ष का द्वार है क्योंकि हम साधना करके मुक्ति तक की यात्रा मानव योनि में ही कर सकते हैं। अगर ऐसा दुर्लभ मानव जन्म पाकर भी जीव अपना परलोक नहीं सुधारता है तो उस का ये दिव्य जन्म व्यर्थ हो जाएगा।


Wednesday, October 19, 2022

B2 और TU160 ऐसे बम वर्षक विमान हैं जिनको अमेरिका.....?



सस्ता पेट्रोल,डीज़ल,गैस और बढ़े GST के रेट पे दिन रात रोने वाले कृपया ये देखें रशिया  के B2 और TU160 ऐसे बम वर्षक विमान  हैं जिनको अमेरिका और अन्य किसी देशों को भी नहीं बेचते। इनकी कीमत भी इतनी ज्यादा है कि कोई देश लेने की हिम्मत नहीं जुटा सकता और सबको देता भी नही है। ये है रूस का TU160 बमवर्षक विमान,एक की कीमत लगभग 3000 हजार करोड़  इसका महत्व इससे समझ सकते हैं कि रूस ने यूक्रेन  युद्ध में अभी तक इसका इस्तेमाल नहीं किया है।दो विमान यूक्रेन के ऊपर केवल उड़ान भरे थे, तो पूरी दुनिया  में तहलका मच गया था। यह विमान एक साथ 10 परमाणु बम ले जा सकते हैं,27,000 किलोग्राम बम,बैलेस्टिक मिसाइल लांच कर सकते हैं।इसकी रफ्तार आवाज से दो गुनी है।मतलब जब तक धमाके के पता चलेगा तब तक विमान वापस अपने स्थान पर । रूस की सहमति से 6 नये TU160 युद्धक विमान भारत  खरीदने वाला है।

Tuesday, October 18, 2022

Dollar flying or Rupee falling (Explained)



 Dollar flying or Rupee falling (Explained)


If someone has basic knowledge of economics, will know answer of this question but in India, standard of journalist n leaders is so low that they even don't know such basics

This post will answer - dollar flying or rupee falling

There are around 200 countries in the world n each have their respective currency and all currencies maintain exchange rate with currency of other countries.

Exchange rate of currency depends upon supply and demand of that currency. Now the question dollar is strengthening or rupee is weakening

Check USD INR performance of last 1 year





Oct 2021 : 1 USD = Rs 75
Oct 2022 :1 USD = Rs 82


Its due to good performance of USD or due to bad performance of INR ?

We can't say on the basis of that curve

To check this, we have to find -

1 How Rupee is performing against another major currencies of the world ?



2. How other currencies r performing against USD ?

If rupee is falling against other currencies also then we can say rupee is falling, If other currencies also falling against USD then we can say its dollar is strengthening. British Pound, Euro and Japanese Yen r the other major currencies of the world.

Lets check Rupee vs Pound
Oct 2021 - 1 GBP = Rs 104
Oct 2022 - 1 GBP = Rs 92


So in 1 Last Year Rs strengthened against GBP

Lets check Rs vs Euro

Oct 2021: 1 Euro = Rs 88
Oct 2022: 1 Euro = Rs 82


So Rs strengthened against Euro also

Lets check Rs vs Yen

Oct 2021 : 1 Yen = 0.65 Rs
Oct 2022 : 1 Yen = 0.55 Rs




So Rs strengthened against Yen also

In last 1 year Rs weakened against dollar but strengthened against all major currencies. It gives indication that Rs is not falling

Lets check performance of these

currencies against dollar



For that we will check dollar index
dollar index measures relative performance of dollar against 6 major currencies of world including GBP, Euro n Yen

Oct 2021: USD value agst 6 major currency = 93
Oct 2021: USD value agst 6 major currency = 112

So it proves that rupee is not falling, its actually dollar is strengthening. Rupee is fighting bravely against dollar and performing very well compares to other currencies n India really deserve appreciation of it.
                        
                              

Reason for this
Petrol import covers 30-40% of our total import

In last 1 year, due to Russia Ukraine war, prices of oil and gas is sky rocket.
India import bill is getting higher
Oil is traded in USD
Import high, export less means
demand of USD high, demand of INR less

So despite of such negative condition, INR fighting bravely
n performing well against other currencies.

Now let me tell the reason why Dollar is sky rocket.

Reason is US federal reserve rate that was 0 in Feb 2022 and now its 3.5%

Now understand this
American banks need to maintain a fix amount to US fed bank n for that on daily basis
they keep taking loan from another bank and interest rate on that loan is called fed interest rate.

When fed increase that interest rate then all investors of the world, take out money from their current investment n invest into US fed bank coz investment in Fed bank is considered safest investment in difficult situation.

U can invest in fed bank only in USD so u need USD for it so demand of USD increase n prices of USD goes high n exactly this happened in last 6 months

Why fed increased interest rate ?
To control the inflation
As interest goes high Interest rate of saving account, FD also increase, credit card, home loan interest goes high

people stop spending n start investing, circulation of money goes down in market, demand goes down n price comes down

Basic economics
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So to control inflation US increased fed rates due to that USD demand increased n USD strengthened agst all currencies

So final conclusion its USD is strengthening, Rupee is not weakening but I will tell u one case when actually Rupee weakened n that happened in during 2008-14

check the fed rates of last 40 years FED rates were 0 during 2010-14

Now check the dollar index of last 40 years

2001-03
and 2022
was the time time when dollar was very strong

2008-14 was the time when dollar was weak against all those 6 currencies Now check performance of Rs and USD during 2008 -2014

2008 : 1 USD = Rs 40
2014 : 1 USD = Rs 63


Even when dollar was weak globally, Fed rates were 0, INR kept falling and fell around 50%

That's called Rupee was falling.So now u have all data

U know basic economics

Irony of this country is that standard and intent of our Opposition leaders and journalist is so low that they don't miss any opportunity to defame their own country. 



Monday, October 17, 2022

हंगर इंडेक्स में भारत का 107 वां स्थान दिया गया है

 



कहा जाता है कि गधे के सिर पर सींग नहीं होते यानी कि उसकी कोई अलग से पहचान नहीं होती इसी तरह अमेरिका द्वारा संचालित विभिन्न संस्थाओं के सिर पर भी सींग नहीं होते उनके द्वारा किए गए सर्वे के नतीजे बताते हैं कि वह गधों से भी ज्यादा बदतर प्राणी है. अभी हाल ही में हुए हंगर इंडेक्स में भारत का 107 वां स्थान दिया गया है जिसके अनुसार भारत की 70% जनता के पास खाने के लिए अनाज नहीं है. 


इन बेवकूफो ने शायद यह आंकड़ा वहां से उठा लिया जहां पर यह बताया गया था कि पिछले 2 वर्षों तक भारतीय सरकार ने 80% से भी ज्यादा अपनी जनता को फ्री में अनाज दिया है. तो बस इस संस्था ने सोचा कि जब 80% लोगों को सरकार फ्री में अनाज दे रही है तो इसका मतलब यह हुआ कि उनके पास खाने तक के लिए पैसे नहीं है.


 अबे उल्लू के चरखो सरकार अनाज फ्री इसलिए दे रही थी ताकि कोरोना के कारण लॉकडाउन या अन्य समस्याओं के कारण अगर उनको भोजन नहीं मिल पाता तो कोई भूखा ना रह जाए  जैसा कि चीन के अंदर हुआ. इसलिए सरकार उनको खाना अनाज दे रही थी ना कि इसलिए कि किसी तरह के अन्न की कमी थी. 


इन हंगर इंडेक्स वालों को जल्द ही पता लग जाएगा कि जिन देशों को इन्होंने पहले 25 नंबरों पर रखा है वह देश  भारत के आगे पीछे गेहूं,चावल, चीनी आदि के लिए पंक्ति लगाकर मंगतो की तरह खड़े होने वाले हैं. और इस बात के लिए इस संस्था को ज्यादा देर तक इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा. यह सब अगले वर्ष 2023 में देखने को मिल जाएगा.



चीन के तीनो महत्वपूर्ण पदों पर शी जिनपिंग का कब्जा.


चीन के तीनो महत्वपूर्ण पदों पर शी जिनपिंग का कब्जा. कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव, सेना के चीफ कमांडर, और राष्ट्रपति  यानी कि  तीनों पद शी जिनपिंग के पास ही रहेंगे.

चीन में हुए महाअधिवेशन के कुछ अंश:

 श्री शी ने अपने भाषण का इस्तेमाल अपनी शून्य-कोविड नीति का बचाव करने के लिए किया.

 चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने संकेत दिया कि बीजिंग में एक ऐतिहासिक कम्युनिस्ट पार्टी कांग्रेस के रूप में उनकी विवादास्पद शून्य-कोविड रणनीति में तत्काल कोई ढील नहीं दी जाएगी।

 दशकों पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए, प्रतिनिधियों द्वारा श्री शी को पार्टी प्रमुख के रूप में तीसरा कार्यकाल सौंपने की संभावना है।

 उन्होंने कहा कि ज़ीरो-कोविड "वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लोगों का युद्ध" था।

 नीति ने जान बचाई है, लेकिन चीनी लोगों और अर्थव्यवस्था पर एक दंडात्मक टोल भी लगाया है।

 
 लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों को लेकर जनता की थकान बढ़ती जा रही है।

 बीजिंग कांग्रेस के आगे कड़े सुरक्षा उपायों के तहत आ गया है, गुरुवार को श्री शी और शून्य कोविड की आलोचना करते हुए एक दुर्लभ और नाटकीय सार्वजनिक विरोध के साथ शहर में निराशा फैल गई।

 श्री शी ने ताइवान के मुद्दे को भी संबोधित किया - जिसे चीन अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है।  स्वशासी ताइवान खुद को मुख्य भूमि से अलग मानता है।

 धीरे-धीरे और जानबूझकर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि बीजिंग "बल के उपयोग को त्यागने का वादा कभी नहीं करेगा" और "हमारे देश का पूर्ण पुनर्मिलन होना चाहिए और महसूस किया जाएगा", प्रतिनिधियों से निरंतर तालियां बजाते हुए।

 हांगकांग पर, श्री शी ने कहा कि बीजिंग ने "अराजकता से शासन" की स्थिति को बदलते हुए, वहां नियंत्रण स्थापित किया था।  बीजिंग ने 2019 में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों के बाद क्षेत्र में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया।

 
 श्री शी ने चीन के राजनीतिक प्रतिष्ठान के भीतर विभाजन का भी उल्लेख करते हुए कहा कि उनके शासन ने "पार्टी में गंभीर छिपे हुए खतरों को दूर कर दिया"।

 शीर्ष पद पर पहुंचने के बाद से, उन्होंने पार्टी के सर्वोच्च पदों तक फैले व्यापक भ्रष्टाचार की कार्रवाई की देखरेख की है।  लेकिन आलोचकों ने इसे एक राजनीतिक शुद्धिकरण के रूप में चित्रित किया है।

 उन्होंने यह भी कहा कि चीन लगभग 73 बार "सुरक्षा" या "सुरक्षा" शब्दों का उल्लेख करते हुए अपनी सेना के निर्माण में तेजी लाएगा।

 भाषण, जो दो घंटे से भी कम समय तक चला, 2017 में पिछले कांग्रेस में उनके भाषण से काफी छोटा था।

 उनकी टिप्पणियों के कारण उनके शब्दों की पसंद पर महीनों से काम चल रहा था और विश्लेषक नीतिगत बदलाव के किसी भी संकेत के लिए इस पर विचार कर रहे होंगे।

गुरुवार के विरोध ने शून्य-कोविड को समाप्त करने और श्री शी को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया

 चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के नेता के रूप में तीसरा कार्यकाल उनके लिए माओत्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता बनने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

 पार्टी के नेताओं को चुनने और प्रमुख नीतियों पर बहस करने के लिए लगभग 2,300 प्रतिनिधि बैठक कर रहे हैं।

 कांग्रेस के दौरान, प्रतिनिधियों से पोलित ब्यूरो स्थायी समिति सहित विभिन्न नेताओं का चुनाव करने की भी उम्मीद है - चीन के राष्ट्रपति कैबिनेट के समकक्ष - जो कांग्रेस के बाद प्रतीक्षा मीडिया के सामने खुद को पेश करेंगे।

 अतीत में, दो बार एक दशक की कांग्रेस को नेताओं के लिए अपने समर्थकों को बढ़ावा देने के अवसर के रूप में देखा जाता था, क्योंकि वे पार्टी के भीतर अपने गुटों की शक्ति को बढ़ाने के लिए संघर्ष करते थे।

 लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि इन दिनों 20वीं पार्टी कांग्रेस में केवल एक ही गुट दिखाई दे रहा है - श्री शी का।

 सत्ता के इस सुदृढ़ीकरण के स्पष्ट संकेत में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शीर्ष नेताओं ने कुछ दिनों पहले एक विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें उन्हें पार्टी और नेतृत्व के "मूल" के रूप में समर्थन दिया गया था।  उन्होंने पार्टी से उनके पीछे और भी अधिक एकजुट होने का आह्वान किया।

 श्री शी वर्तमान में चीन में तीन सबसे शक्तिशाली पदों पर हैं - सीसीपी के महासचिव, देश के सशस्त्र बलों के अध्यक्ष और राष्ट्रपति।  उनसे कांग्रेस में पहले दो खिताबों के लिए अपने कार्यकाल को नवीनीकृत करने की उम्मीद है।

 सीसीपी कोई अवधि सीमा निर्धारित नहीं करता है।  लेकिन कम्युनिस्ट चीन के संस्थापक माओ के अलावा किसी भी नेता ने कभी तीसरा कार्यकाल पूरा नहीं किया।

 एक ऐतिहासिक तीसरे कार्यकाल के लिए शी का मार्ग, समझाया गया

 शी जिनपिंग: राजकुमार से लेकर राष्ट्रपति तक

 राष्ट्रपति पद के लिए देश के संविधान में दो कार्यकाल की सीमा भी हुआ करती थी, जिसे सुधारक देंग शियाओपिंग द्वारा माओ जैसे व्यक्ति के उदय को रोकने के लिए रखा गया था।

 लेकिन श्री शी इस आवश्यकता को समाप्त करने में कामयाब रहे: 2018 में चीन की रबर-स्टैम्प संसद ने इस नियम को समाप्त कर दिया, प्रभावी रूप से उन्हें जब तक चाहें राष्ट्रपति बने रहने की अनुमति दी।

 2012 में सत्ता संभालने के बाद से, श्री शी ने चीन को एक ऐसे रास्ते पर ले जाया है जो समान रूप से महत्वाकांक्षी और सत्तावादी रहा है।

 उन्होंने "चीनी राष्ट्र के एक महान कायाकल्प" पर जोर दिया, जिसने उन्हें आर्थिक सुधार, प्रदूषण को कम करने और गरीबी को कम करने के लिए प्रेरित किया।

 वीडियो कैप्शन,

 क्या शी जिनपिंग की गरीबी दूर करने वाला "आलू का चमत्कार" ऐसा लगता है?

 उन्होंने शिनजियांग में उइगरों और हांगकांग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर भी कार्रवाई शुरू की है।

 लेकिन श्री शी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जैसे कि युवा बेरोजगारी, एक धीमी अर्थव्यवस्था और चल रहे संपत्ति संकट – और निश्चित रूप से शून्य-कोविड।

 जीरो-कोविड कैसे खराब कर रहा है शी की पार्टी

 कई लोग कांग्रेस को यह देखने के लिए भी देख रहे होंगे कि क्या बीजिंग की विदेश नीति में कोई बदलाव होगा, खासकर दुनिया की दूसरी महाशक्ति, अमेरिका के प्रति।

 दक्षिण चीन सागर में वन बेल्ट वन रोड कार्यक्रम और दावों के माध्यम से विदेश में चीन के प्रभाव का विस्तार करने के श्री शी के प्रयासों के साथ-साथ यूक्रेन युद्ध में रूस के समर्थन और ताइवान के आसपास इसके हालिया सैन्य अभ्यासों ने अमेरिका और अन्य देशों के साथ तनाव बढ़ा दिया है।  .

 श्री शी के शीर्ष पर रहने के साथ ये सभी मुख्य हित बने रहेंगे - हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​​​है कि वह अमेरिका और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ बेहतर व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ पहलुओं में चीन के दृष्टिकोण को कम कर सकते हैं।

 सिंगापुर के एस राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डॉ कोलिन कोह ने कहा, "सीसीपी की राजनीतिक वैधता सामाजिक आर्थिक वितरण में निहित है।"

 "औसत चीनी नागरिक महसूस करेंगे कि चीजें बहुत अच्छी तरह से नहीं चल रही हैं, इसलिए चीन को हाल के दशकों में जिस तरह की वृद्धि का उपयोग किया गया है, उसे फिर से मजबूत करने की आवश्यकता है।"

Things we should never do


1:-Stop expecting from others. Expectations only lead to disappointments.

2:-Never blame anybody for your mistakes and failures.

3:-Never make a promise when you are emotional.

4:-Never say or do something that is going to affect anyone negatively.

5:-Don't believe in things that you haven't seen by yourself.

6:-Never feel ashamed to admit your mistake.

7-Never take your all friends home. Be selective. Don't trust everyone blindly.

8-Never share your personal life with everyone.

9. Never underestimate yourself. You can definitely do if you want to do.

10-Never compare your life or your people with others. The fingers on the same hand are not same so we cannot expect anyone be same.

11. Never get addicted to anything so seriously. It can be a thing or a person or a habit.

12-Never tell any secrets in front of the kid. They are catchy and can bring you an embarrassment in the public.

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Sunday, October 16, 2022

What's the link between external and internal resources?



Internal resources are a person's mental potential, including character, abilities, knowledge, skills, experience, emotions, feelings, and worldview. The more internal resources a person has, the more confident she/he feels without external support. She/he perceives reality adequately, achieves personal goals, withstands stresses and at the same time maintains integrity.


External resources are material values and social ties. That is, things that support and help us from the outside, for example: family, friends, work, money, hobbies, studies, etc.


When external resources are lost, internal resources are gradually depleted, and if a person has not formed internal resources, he won't be able to use external ones. This is the cycle of resources.

प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार!

प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार! अभी कितना और करेंगे पापाचार? राम मंदिर निर्माण में जितना...