Monday, July 27, 2020
AchievingGoals के बारे में जीवन नहीं है.
Saturday, July 25, 2020
लौकिक ऊर्जा (Cosmic Energy) ध्यान क्या है और इसके लाभ क्या हैं?
Friday, July 24, 2020
विपश्यना मेडिटेशन (Vipassana Meditation)
(Vipassana Meditation)
से हत सुधारे व्यक्तित्व निखारेविपश्यना मन को शांत और निर्मल करने की वैज्ञानिक विधि है। दूसरे शब्दों में इसे मन का व्यायाम भी कहा जा सकता है। जिस तरह शारीरिक व्यायाम से शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने की कोशिश की जाती है, वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ बनाया जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से मन हर स्थिति में संतुलित रहता है, जिससे हम हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।
यह भारत की सबसे प्राचीन मेडिटेशन तकनीक है, जिसे लगभग 2600 साल पहले महात्मा बुद्ध ने फिर से खोजा था। विपश्यना को महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का व्यावहारिक सार भी कहा जाता है, जो धम्म यानी प्रकृति के नियमों को सिखाता है। विपश्यना पाली भाषा के शब्द ‘पस्सना’ से बना है, जिसका मतलब होता है देखना। ‘विपस्सना’ (विपश्यना) का अर्थ है, जो चीज जैसी है, उसे उसके सही रूप में देखना।
जब भी मन में कोई विकार या कहें विचार जागता है तो शरीर पर दो घटनाएं शुरू हो जाती हैं। एक, सांस अपनी नैसर्गिक गति खो देता है। मतलब कि सांस तेज एवं अनियमित हो जाती है। इसके साथ ही शरीर में सूक्ष्म स्तर पर जीव रासायनिक प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप संवेदनाओं का निर्माण होता है। हर विकार शरीर पर किसी न किसी संवेदना का निर्माण करता है। सामान्य व्यक्ति इन विकारों को नहीं देख सकता, लेकिन विपश्यना के प्रशिक्षण एवं प्रयास से सांस एवं शरीर पर होने वाली संवेदनाओं को देख सकता है।
निखर आएगी चेहरे की रंगत
लंबे समय तक इसका अभ्यास शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिसका सीधा असर चेहरे पर नजर आने लगता है। रक्त संचार बढ़ने और तनावमुक्त होने से चेहरे की रंगत और निखर आती है।
आत्मविश्वास बढ़ेगा
विपश्यना का अभ्यास मन को हर पल शांत और प्रसन्न रखता है। इससे धैर्य और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है और बेवजह का उतावलापन कम होता है।
बच्चों की एकाग्रता बढ़ाएं
बच्चे स्वभाव से बेहद चंचल होते हैं। उनके लिए अपने मन को शांत रख पढ़ाई करना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे बच्चों को अपने मन को एकाग्र करने के लिए विपश्यना का अभ्यास करना चाहिए। विपश्यना आठ से बारह साल के बच्चे कर सकते हैं। इन बच्चों के लिए यह कोर्स एक से दो या तीन दिन का होता है।
विपश्यना की मुद्रा
विपश्यना के लिए घर के सबसे शांत कोने का इस्तेमाल करें। कमरे की लाइट बंद करके आसन पर पालथी मार कर बैठ जाएं। बैठने के दौरान हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कमर और गर्दन सीधी और आंखें बंद हों। इसके बाद नाक से आने और जाने वाली सांस पर ध्यान केंद्रित करें। कुछ दिनों तक इसी का अभ्यास करते रहें। इसके बाद सांसों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए शरीर में होने वाली संवेदनाओं की अनुभूति करें, यही विपश्यना है। शुरू में इसे कुछ समय तक सुबह-शाम करें, बाद में सुविधा के मुताबिक समय बढ़ा भी सकते हैं।
विपश्यना मेडिटेशन कोर्स
आज दुनिया भर में लगभग 170 विपश्यना सेंटर और 130 नॉन-सेंटर हैं। इन सेंटरों पर विपश्यना के 10, 20, 30, 45 और 60 दिनों के कोर्स करवाए जाते हैं। ये कोर्स नि:शुल्क होते हैं।
10 दिवसीय विपश्यना शिविर
विपश्यना केंद्रों द्वारा 10 दिवसीय आवासीय कोर्स करवाया जाता है। यह बेसिक और सबसे कम समय का कोर्स है। इन 10 दिनों में स्टूडेंट को गंभीरता से काम करना होता है। 10 दिनों के इस कोर्स में शामिल हैं-आर्य मौन : शिविर की शुरुआत से ही सभी को आर्य मौन अर्थात वाणी एवं शरीर से मौन रहना होता है। इसका पालन पहले से 10वें दिन की सुबह 10 बजे तक करना होता है।
पहला दिन : पहले दिन स्टूडेंट को पांचशील पालन करने का व्रत लेना होता है। इसमें जीव-हिंसा, चोरी, झूठ बोलना, नशा नहीं करना तथा ब्रह्मचर्य शामिल है। शील इस साधना की नींव है। शील के आधार पर ही समाधि और मन की एकाग्रता का अभ्यास किया जाता है एवं प्रज्ञा के अभ्यास से विकारों का निर्मूलन होता है, जिसके परिणामस्वरूप मन (चित्त) शुद्ध होता है। इन शीलों का पालन करने से मन शांत रहना सीख जाता है, जिससे आगे की विधि आसान हो
जाती है।
आनापान मेडिटेशन : यह एक मानसिक व्यायाम है, जो मस्तिष्क को स्वस्थ और मजबूत रखता है। पहले दिन से ही नासिका से आते-जाते हुए अपनी नैसर्गिक सांस पर ध्यान केंद्रित कर आनापान का अभ्यास सिखाया जाता है। इसे लगातर तीन दिनों तक करना होता है।
चौथे दिन : आनापान के लगातार अभ्यास से चौथे दिन से मन कुछ शांत, एकाग्र और विपश्यना के अभ्यास के लायक हो जाता है। विपश्यना द्वारा शरीर (काया) के भीतर संवेदनाओं के प्रति सजग रहना, उनके सही स्वभाव को समझना एवं उनके प्रति समता रखना सिखाया जाता है। चौथे दिन से नौवें दिन तक यह अभ्यास सुबह-शाम करना होता है।
दसवें दिन : इस दिन मंगल-मैत्री का अभ्यास सिखाने के साथ शिविर के दौरान अर्जित पुण्य को सभी प्राणियों में बांटा जाता है। इसकी सफलता जगजाहिर है।
Thursday, July 23, 2020
न्यूट्रीलाइट फाइबर
न्यूट्रीलाइट फाइबर ( Nutrilite Fiber )
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🔹पाचन-तंत्र में मुँह से लेकर मलाशय / गुदा तक सभी अंग तंत्र शामिल होते हैं जो भोजन के पाचन, शरीर मे पोषक तत्वों के अवशोषण और मल के निष्कासन मे मदद करते हैं ।
🔹आपके पाचन-तंत्र, स्वास्थ्य, पोषक तत्वों की जैविक उपलब्धता एवं अवशोषण से लेकर पौष्टिक स्वास्थ्य पर उनके प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव के पोषण सम्बन्धी मुद्दों को अत्यधिक प्रभावित करता है ।
फाइबर क्या है ? :
फाइबर निम्नलिखित नामों से जाना जाता है ।
👉आहारीय फाइबर
👉अनुपलब्ध कार्बोहाइड्रेट्स
👉ब्रान ( भूसी )
वे खाद्य-कार्बोहाइड्रेट्स, जो पचते और अवशोषित नहीं होते हैं और जो शरीर में सकारत्मक शारीरिक क्रियाओं में योगदान देते हैं, फाइबर कहलाते हैं ।
💥उच्च गुणवत्तायुक्त की डाइट लेने से कब्ज के रोग में लाभ मिलता है और बाउल की निरन्तरता में वृद्धि होती है ।
💥 इसके अतिरिक्त यह कार्डियोवस्कुलर रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है और साथ ही साथ अधिक कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के रोग के खतरे को भी कम करता है ।
✳सलाह:-✳
🔹विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) द्वारा प्रतिदिन कम से कम 25 ग्राम फाइबर सेवन करने की सिफारिश की गई है ।
🔹यू० एस०नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रतिदिन 20 - 30 ग्राम फाइबर ग्रहण करने की सलाह दी गई है ।
🔹यू०एस० इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन द्वारा 2000 कैलोरी के आहार के आधार पर एक दिन मे 28 ग्राम फाइबर ग्रहण करने की सिफारिश की गई है ।
💥विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सन् 2002 की रिपोर्ट में उल्लेखनीय 10 अग्रणी वैश्विक रोगों के जोखिम कारकों में से पाँच ---
1- उच्च रक्तचाप,
2- उच्च कोलेस्ट्रॉल,
3- मोटापा,
4- शारीरिक निष्क्रियता,
5- फलों और सब्जियों ( फाइबर आहार )कि अपर्याप्त खपत आहार शारीरिक के साथ गहरा सम्बंध रखते हैं ।
✳न्यूट्रीलाइट फाइबर :-✳
🔹न्यूट्रीलाइट फाइबर जिंदगी की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है,साथ ही जी०आई० सामान्य स्वास्थ्य में मदद करता है
✳विशेषताएँ और लाभ :-✳
💥प्रत्येक खुराक में 4.5 ग्राम प्राकृतिक और घुलनशील फाइबर मौजूद है ।
💥गैस्ट्रोइन्टेस्टाइल के सामान्य स्वास्थ्य एवं नियमितता की मदद करने के लिए आवश्यक फाइबर को प्राप्त करने का एक सुविधाजनक तरीका है ।
💥यह पानी के साथ आसानी से घुल जाता है और एक पारदर्शी, स्वाद रहित, कम गाढा द्रव बनाता है ।
💥 इससे आहारीय फाइबर की दैनिक आवश्यकता को पूरा करने में सहायता मिलती है ।
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Wednesday, July 22, 2020
बारिश की थाली आयुर्वेद वाली
बरसात में आम तौर पर हमारा खान पान क्या होना चाहिए यह हम लोगो को पता ही नहीं होता है । जिसकी वजह से बारिश में कई बीमारियों से जूझना पड़ता है ।
आज आपको एक ऐसी थाली के बारे में जानकारी दे रहा हूँ जिसे बारिश में अपने भोजन में खा सकते है । और सेहत बनी रहे ।
1) #आचार :-
आचार खाने का सबसे उत्तम समय बारिश में ही होता है क्यूंकी इसमे विभिन्न मसाले और नमक डाला होता है, साथ ही आचार खट्टा होता है । और बारिश के समय शरीर को खट्टा पदार्थ की अत्यंत आवश्यकता होती है । नींबू या आंवले का आचार उत्तम होता है ।
2) अदरक और काला नमक :-
बारिश के मौसम में पेट की अग्नि मंद हो जाती है , इसीलिए भूख कम लगती है । भोजन के पहले अदरक का छोटा सा टुकड़ा काला नमक के साथ चबा-चबा कर खाये । इससे आप जो भी भोजन करेंगे उसका पाचन क्रिया अच्छी तरह से होगा , भूख खुल कर आएगी ।
3) सब्जी :-
बारिश के मौसम में लंबी सब्जी खानी चाहिए जैसे बैंगन, भिंडी, कद्दू, नेणुआ, झिगनी, परवल इत्यादि यह सब वात, कफ का नाश करती है । पेट की अग्नि बढ़ाती है । पर पत्ते वाली कोई भी सब्जी न खाये , यह गैस बनाएगा ।
4) रोटी :-
गेंहू की रोटी खाये, बारिश में मल्टीग्रेन आटा का उपयोग कम करें।
5) दाल :-
बारिश में मूंग की दाल खाये, यह पचने में हल्की होती है । साथ ही उसमे लहसुन, अजवायन, जीरा, मेथी, सोंठ इत्यादि को देशी गाय का घी में डालकर तड़का जरूर लगाए , इससे दाल का गुण अत्यधिक बढ़ जाएगा।
6) चावल :-
चावल पकाने से पहले उसे तवे पर हल्का सेंक ले। इससे गैस नहीं बनेगा । साथ ही चावल को कुकर में कभी भी न बनाए, भोजन जहरीला होता है ।
7) दही :-
इसे थोड़ी सी मात्र में ही ले , यह भूख को तेज करेगी ।
8) छाछ :-
यह गर्म होता है, इसीलिए इसमे जीरा, सेंधा नमक, डालकर पिये। इससे गैस की समस्या दूर होगी ।
9) शहद :-
पानी को गर्म करके ठंडा करके शहद को ठंडे पानी में डालकर पिये । फायदेमंद होगा ।
10) पान :-
अंत में भोजन करने के बाद देशी पान जरूर खाये । यह पाचन क्रिया को खूब बढ़ाता है । इसमें लौंग, जावित्री, सौंफ , इलायची डालकर खाये । इससे पाचक रस बनेगा और भोजन को पचाएगा । पर जिसे गर्मी की तकलीफ हो या खून की बीमारी हो वो पान न खाये ।
इस बारिश की थाली का प्रयोग बारिश के मौसम में 2 महीने ही करनी चाहिए । ताकि बारिश में होने वाली बीमारियो से बचा जा सकेगा ।
Thursday, July 16, 2020
बिहार की बदहाली मेरी नजर में । दो टूक
Tuesday, July 7, 2020
Compliance Calendar Financial Year wise affected due to COVID-19 for July-20
प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार!
प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार! अभी कितना और करेंगे पापाचार? राम मंदिर निर्माण में जितना...
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