Monday, July 27, 2020

AchievingGoals के बारे में जीवन नहीं है.




"#AchievingGoals के बारे में जीवन नहीं है"


लक्ष्यों की कभी न खत्म होने वाली सूची की तुलना में वहाँ अधिक है।

लक्ष्य! लक्ष्य! क्या आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर रहे हैं? वास्तविकता में, जबकि #goalsetting एक उपयोगी उत्पादकता उपकरण है, लक्ष्य उपलब्धि को हमारे व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन का केंद्र बनाकर खुद को आपदा के लिए स्थापित कर रहा है।



X * Y = जेड

अपने संसाधनों (X) और अपने लक्ष्यों (Z) को देखते हुए, आपको किस प्रयास (Y) में डालने की आवश्यकता है? Y के लिए हल करें।

X (संसाधन) * Y (प्रयास) = Z (लक्ष्य)

एक बार जब आप Y के लिए हल कर लेते हैं, तो Z को ठीक करने का वास्तव में कोई मतलब नहीं है। आपको यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि आप लक्ष्यों तक पहुंच सकें (Z) यह सुनिश्चित करें कि आप काम कर रहे हैं (Y)।



ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने पर विचार करें। एथलीट अपना शुरुआती साल स्वर्ण पदक की खोज में प्रशिक्षण के अलावा कुछ नहीं बिताते हैं। लेकिन स्वर्ण पदक की बात क्या है? यदि कोई व्यक्ति आपके पास आया और आपको $ 45 के लिए ओलंपिक स्वर्ण पदक बेचने की पेशकश की, तो आप शायद यह सौदा नहीं करेंगे। एक स्वर्ण पदक आपके लिए बहुत अधिक योग्य नहीं है। क्यों? क्योंकि आपने इसे अर्जित नहीं किया था। एक स्वर्ण पदक की बात वह प्रयास है जो एक अर्जित करने के लिए होता है।

अपने आप को लक्ष्यों के विरुद्ध मापना बंद करें और एक ऐसा # अच्छापन खोजें जो हमारे स्वयं के प्रदर्शन पर निर्भर न हो, बल्कि कुछ अधिक हो। जहां हम पाते हैं कि हमारे ऊपर है।

#खुश रहें

Saturday, July 25, 2020

लौकिक ऊर्जा (Cosmic Energy) ध्यान क्या है और इसके लाभ क्या हैं?



लौकिक ऊर्जा ध्यान क्या है और इसके लाभ क्या हैं? (What Is Cosmic Energy Meditation And What Are Its Benefits?)


क्या आप अपने जीवन को उच्छृंखल पाते हैं? क्या आप लगातार महसूस करते हैं कि आपके जीवन में कुछ कमी है, लेकिन यह पता लगाने में असमर्थ हैं कि क्या है? कभी-कभी हम जीवन में अटका हुआ महसूस करते हैं, और इस पृथ्वी पर कोई भी शक्ति हमारी मदद करने में सक्षम नहीं लगती है।

और वह यह है कि जब आपको लौकिक ऊर्जा ध्यान का अभ्यास शुरू करना चाहिए! इसमें बेहतर के लिए अपने जीवन को बदलने की जादुई क्षमता है! इसके बारे में अधिक जानना चाहते हैं? अपना पढ़ना जारी रखें!



ब्रह्मांडीय ऊर्जा क्या है?
ब्रह्मांडीय ऊर्जा जीवन शक्ति है जो हर जगह मौजूद है। यह ब्रह्मांड में, आकाशगंगाओं के बीच, अणुओं और अंतरिक्ष में मौजूद है। जीवन में आदेश को बनाए रखना और हमारी चेतना का विस्तार करना आवश्यक है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा एक व्यक्ति के स्वयं के साथ शांति और वर्तमान क्षण में रहने से प्राप्त होती है। परमानंद ब्रह्मांडीय ऊर्जा की मूल विशेषता है। यह मन की एक स्थिति है जो शांति, प्रेम और आनंद को जोड़ती है।

ब्रह्मांडीय ऊर्जा हमारे सभी कार्यों, स्थितियों की प्रतिक्रियाओं और समग्रता में कार्यों का आधार है। हमारे शरीर को लौकिक ऊर्जा की कुछ मात्रा प्राप्त होती है जब हम पूरी तरह मौन और मन की शांति के साथ सो रहे होते हैं। निम्नलिखित कारणों से ब्रह्मांडीय ऊर्जा आवश्यक है:


एक व्यवस्थित जीवन बनाए रखने के लिए
एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन जीने के लिए
ज्ञान प्राप्त करने के लिए
जीवन में सभी स्थितियों को पूरी तरह से शामिल करने के लिए
हमारी चेतना का विस्तार करने के लिए
धर्म और दर्शन क्या कहते हैं:
हिंदू दर्शन के अनुसार, इस ऊर्जा को कश्मीर शैव या आध्यात्मिक ऊर्जा या प्राण के रूप में जाना जाता है। ब्रह्माण्डीय ऊर्जा को कुंडलिनी का स्रोत माना जाता है। कुछ नए युग के लेखक इस ऊर्जा को क्वांटम शून्य वैक्यूम बिंदु ऊर्जा और ऑर्गन ऊर्जा के रूप में संदर्भित करते हैं।


लौकिक ऊर्जा ध्यान के लाभ:
हमारा शरीर और मन एक ऊर्जा क्षेत्र से घिरा हुआ है, जो कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा से पोषित है। यह सकारात्मक ऊर्जा हमेशा शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक आत्म चिकित्सा में मदद करती है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा नकारात्मकता को कम करती है, पूर्ण चिकित्सा में सहायक होती है और जीवन में सामंजस्य बनाती है। लौकिक ऊर्जा के कुछ भौतिक लाभ नीचे सूचीबद्ध हैं:

कॉस्मिक ऊर्जा रक्त प्रवाह के नियमन का समर्थन करती है और हृदय पर तनाव को कम करती है।
कॉस्मिक ऊर्जा शरीर में कोर्टिसोल और लैक्टेट के स्तर को कम करने में मदद करती है। ये अक्सर मानसिक तनाव से जुड़े होते हैं।
कॉस्मिक ऊर्जा शरीर से मुक्त कणों को खत्म करने में मदद करती है।
ब्रह्मांडीय ऊर्जा चिंता, चिड़चिड़ापन और अवसाद जैसे सभी मनोवैज्ञानिक मुद्दों के इलाज में चमत्कार करती है।


ब्रह्मांडीय ऊर्जा हृदय रोगों में सहायता करती है और त्वचा की प्रतिरोधक क्षमता का विकास करती है।
कॉस्मिक एनर्जी मेमोरी फंक्शन को बेहतर बनाने में मदद करती है। यह आत्म-बोध और कायाकल्प भावनाओं का समर्थन करके मनोवैज्ञानिक आत्म को बढ़ाने में एक उत्कृष्ट भूमिका निभाता है।


लौकिक ऊर्जा और ध्यान:
ब्रह्मांड में प्रचुर मात्रा में ब्रह्मांडीय ऊर्जा है। इस ऊर्जा को चक्रों, श्वास अभ्यासों या ऊर्जा उपचारों का उपयोग करके चैनलाइज़ किया जा सकता है। हालांकि, इस सकारात्मक ऊर्जा को प्राप्त करने का सबसे अच्छा और सरल तरीका ध्यान के माध्यम से है।



ब्रह्मांडीय ऊर्जा हमारे शरीर में मन के माध्यम से प्रवेश करती है। ध्यान हमारे मन को इस ब्रह्मांडीय ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए शांत और केंद्रित होने में मदद करता है।
अधिकांश व्यक्तियों में तनाव, चिंता, भय, नकारात्मक भावनाओं और चिंताओं जैसे मानसिक विकर्षणों के कारण चक्रों को अधिकांश समय आंशिक रूप से बंद किया जा सकता है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा चक्रों के माध्यम से हमारी प्रणाली में प्रवेश करती है और शरीर के व्यक्तिगत ऊर्जा क्षेत्र का समर्थन करती है।
ध्यान के दौरान, मन और शरीर एक हो जाते हैं। यह भौतिक और आध्यात्मिक आत्म को ब्रह्मांडीय ऊर्जा और ब्रह्मांडीय ऊर्जा उपचार में सहायता प्राप्त करने के लिए तैयार करता है।


विशेषज्ञों का सुझाव है कि ध्यान के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा को भी चैनलाइज़ किया जा सकता है। यह ध्यान मन की शांति प्रदान करता है और आंतरिक शांति विकसित करता है। जब मन शांत होता है, तो यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्राप्त कर सकता है।
आधार चक्र के माध्यम से सांस लेने और पृथ्वी से ऊर्जा को अवशोषित करने पर ध्यान देने से, एक छोटी अवधि में शरीर की ऊर्जा बढ़ाने में सक्षम होगा।
रेकी ब्रह्मांडीय ऊर्जा और आंतरिक ऊर्जा तक पहुँचने के सिद्धांत पर काम करता है। यह ध्यान के माध्यम से ब्रह्मांडीय ऊर्जा प्राप्त करने का एक और उत्कृष्ट तरीका है।

संक्षेप में, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि ब्रह्मांडीय ऊर्जा को ध्यान के नियमित अभ्यास के माध्यम से महसूस और प्राप्त किया जा सकता है।

क्या आप ब्रह्मांडीय ऊर्जा ध्यान का अभ्यास करते हैं? टिप्पणी अनुभाग में हमारे साथ अपने अनुभव साझा करें!

Friday, July 24, 2020

विपश्यना मेडिटेशन (Vipassana Meditation)


विपश्यना मेडिटेशन

(Vipassana Meditation) 

से हत सुधारे व्यक्तित्व निखारे


विपश्यना मन को शांत और निर्मल करने की वैज्ञानिक विधि है। दूसरे शब्दों में इसे मन का व्यायाम भी कहा जा सकता है।  जिस तरह शारीरिक व्यायाम से शरीर को स्वस्थ और मजबूत बनाने की कोशिश की जाती है, वैसे ही विपश्यना से मन को स्वस्थ बनाया जाता है। इसके निरंतर अभ्यास से मन हर स्थिति में संतुलित रहता है, जिससे हम हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहते हैं।  
यह भारत की सबसे प्राचीन मेडिटेशन तकनीक है, जिसे लगभग 2600 साल पहले महात्मा बुद्ध ने फिर से खोजा था। विपश्यना को महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं का व्यावहारिक सार भी कहा जाता है, जो धम्म यानी प्रकृति के नियमों को सिखाता है। विपश्यना पाली भाषा के शब्द ‘पस्सना’ से बना है, जिसका मतलब होता है देखना। ‘विपस्सना’ (विपश्यना) का अर्थ है, जो चीज जैसी है, उसे उसके सही रूप में देखना।


जब भी मन में कोई विकार या कहें विचार जागता है तो शरीर पर दो घटनाएं शुरू हो जाती हैं। एक, सांस अपनी नैसर्गिक गति खो देता है। मतलब कि सांस तेज एवं अनियमित हो जाती है। इसके साथ ही शरीर में सूक्ष्म स्तर पर जीव रासायनिक प्रक्रिया शुरू हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप संवेदनाओं का निर्माण होता है। हर विकार शरीर पर किसी न किसी संवेदना का निर्माण करता है। सामान्य व्यक्ति इन विकारों को नहीं देख सकता, लेकिन विपश्यना के प्रशिक्षण एवं प्रयास से सांस एवं शरीर पर होने वाली संवेदनाओं को देख सकता है। 

निखर आएगी चेहरे की रंगत
लंबे समय तक इसका अभ्यास शरीर में रक्त संचार को बढ़ाता है, जिसका सीधा असर चेहरे पर नजर आने लगता है। रक्त संचार बढ़ने और तनावमुक्त होने से चेहरे की रंगत और निखर आती है। 



आत्मविश्वास बढ़ेगा
विपश्यना का अभ्यास मन को हर पल शांत और प्रसन्न रखता है। इससे धैर्य और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है और बेवजह का उतावलापन कम होता है। 

बच्चों की एकाग्रता बढ़ाएं 
बच्चे स्वभाव से बेहद चंचल होते हैं। उनके लिए अपने मन को शांत रख पढ़ाई करना बेहद मुश्किल होता है। ऐसे बच्चों को अपने मन को एकाग्र करने के लिए विपश्यना का अभ्यास करना चाहिए। विपश्यना आठ से बारह साल के बच्चे कर सकते हैं। इन बच्चों के लिए यह कोर्स एक से दो या तीन दिन का होता है। 

विपश्यना की मुद्रा
विपश्यना के लिए घर के सबसे शांत कोने का इस्तेमाल करें। कमरे की लाइट बंद करके आसन पर पालथी मार कर बैठ जाएं। बैठने के दौरान हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपकी कमर और गर्दन सीधी और आंखें बंद हों। इसके बाद नाक से आने और जाने वाली सांस पर ध्यान केंद्रित करें। कुछ दिनों तक इसी का अभ्यास करते रहें। इसके बाद सांसों पर ध्यान केंद्रित रखते हुए शरीर में होने वाली संवेदनाओं की अनुभूति करें, यही विपश्यना है। शुरू में इसे कुछ समय तक सुबह-शाम करें, बाद में सुविधा के मुताबिक समय बढ़ा भी सकते हैं।



विपश्यना मेडिटेशन कोर्स 
आज दुनिया भर में लगभग 170 विपश्यना सेंटर और 130 नॉन-सेंटर हैं। इन सेंटरों पर विपश्यना के 10, 20, 30, 45 और 60 दिनों के कोर्स करवाए जाते हैं। ये कोर्स नि:शुल्क होते हैं। 

10 दिवसीय विपश्यना शिविर
विपश्यना केंद्रों द्वारा 10 दिवसीय आवासीय कोर्स करवाया जाता है। यह बेसिक और सबसे कम समय का कोर्स है। इन 10 दिनों में स्टूडेंट को गंभीरता से काम करना होता है। 10 दिनों के इस कोर्स में शामिल हैं-आर्य मौन : शिविर की शुरुआत से ही सभी को आर्य मौन अर्थात वाणी एवं शरीर से मौन रहना होता है। इसका पालन पहले से 10वें दिन की सुबह 10 बजे तक करना होता है।


पहला दिन : पहले दिन स्टूडेंट को पांचशील पालन करने का व्रत लेना होता है। इसमें जीव-हिंसा, चोरी, झूठ बोलना, नशा नहीं करना तथा ब्रह्मचर्य शामिल है। शील इस साधना की नींव है। शील के आधार पर ही समाधि और मन की एकाग्रता का अभ्यास किया जाता है एवं प्रज्ञा के अभ्यास से विकारों का निर्मूलन होता है, जिसके परिणामस्वरूप मन (चित्त) शुद्ध होता है। इन शीलों का पालन करने से मन शांत रहना सीख जाता है, जिससे आगे की विधि आसान हो 
जाती है। 
आनापान मेडिटेशन : यह एक मानसिक व्यायाम है, जो मस्तिष्क को स्वस्थ और मजबूत रखता है। पहले दिन से ही नासिका से आते-जाते हुए अपनी नैसर्गिक सांस पर ध्यान केंद्रित कर आनापान का अभ्यास सिखाया जाता है। इसे लगातर तीन दिनों तक करना होता है। 
चौथे दिन : आनापान के लगातार अभ्यास से चौथे दिन से मन कुछ शांत, एकाग्र और विपश्यना के अभ्यास के लायक हो जाता है। विपश्यना द्वारा शरीर (काया) के भीतर संवेदनाओं के प्रति सजग रहना, उनके सही स्वभाव को समझना एवं उनके प्रति समता रखना सिखाया जाता है। चौथे दिन से नौवें दिन तक यह अभ्यास सुबह-शाम करना होता है। 
दसवें दिन : इस दिन मंगल-मैत्री का अभ्यास सिखाने के साथ शिविर के दौरान अर्जित पुण्य को सभी प्राणियों में बांटा जाता है। इसकी सफलता जगजाहिर है।

Thursday, July 23, 2020

न्यूट्रीलाइट फाइबर




न्यूट्रीलाइट फाइबर ( Nutrilite Fiber )

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🔹पाचन-तंत्र में मुँह से लेकर मलाशय / गुदा तक सभी अंग तंत्र शामिल होते हैं जो भोजन के पाचन, शरीर मे पोषक तत्वों के अवशोषण और मल के निष्कासन मे मदद करते हैं ।


🔹आपके पाचन-तंत्र, स्वास्थ्य, पोषक तत्वों की जैविक उपलब्धता एवं अवशोषण से लेकर पौष्टिक स्वास्थ्य पर उनके प्रत्यक्ष एवं परोक्ष प्रभाव के पोषण सम्बन्धी मुद्दों को अत्यधिक प्रभावित करता है ।


    फाइबर क्या है ? :


फाइबर निम्नलिखित नामों से जाना जाता है ।
👉आहारीय फाइबर
👉अनुपलब्ध कार्बोहाइड्रेट्स
👉ब्रान ( भूसी )
वे खाद्य-कार्बोहाइड्रेट्स, जो पचते और अवशोषित नहीं होते हैं और जो शरीर में सकारत्मक शारीरिक क्रियाओं में योगदान देते हैं, फाइबर कहलाते हैं ।



फाइबर व अन्य रोग


💥उच्च गुणवत्तायुक्त की डाइट लेने से कब्ज के रोग में लाभ मिलता है और बाउल की निरन्तरता में वृद्धि होती है ।
💥 इसके अतिरिक्त यह कार्डियोवस्कुलर रोग के खतरे को कम करने में मदद करता है और साथ ही साथ अधिक कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के रोग के खतरे को भी कम करता है ।



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सलाह:-


🔹विश्व स्वास्थ्य संगठन (W.H.O.) द्वारा प्रतिदिन कम से कम 25 ग्राम फाइबर सेवन करने की सिफारिश की गई है ।
🔹यू० एस०नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रतिदिन 20 - 30 ग्राम फाइबर ग्रहण करने की सलाह दी गई है ।
🔹यू०एस० इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिसिन द्वारा 2000 कैलोरी के आहार के आधार पर एक दिन मे 28 ग्राम फाइबर ग्रहण करने की सिफारिश की गई है ।


💥विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सन् 2002 की रिपोर्ट में उल्लेखनीय 10 अग्रणी वैश्विक रोगों के जोखिम कारकों में से पाँच ---
1- उच्च रक्तचाप,
2- उच्च कोलेस्ट्रॉल,
3- मोटापा,
4- शारीरिक निष्क्रियता,
5- फलों और सब्जियों ( फाइबर आहार )कि अपर्याप्त खपत आहार शारीरिक के साथ गहरा सम्बंध रखते हैं ।




न्यूट्रीलाइट फाइबर :-


🔹न्यूट्रीलाइट फाइबर जिंदगी की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है,साथ ही जी०आई० सामान्य स्वास्थ्य में मदद करता है


विशेषताएँ और लाभ :-


💥प्रत्येक खुराक में 4.5 ग्राम प्राकृतिक और घुलनशील फाइबर मौजूद है ।
💥गैस्ट्रोइन्टेस्टाइल के सामान्य स्वास्थ्य एवं नियमितता की मदद करने के लिए आवश्यक फाइबर को प्राप्त करने का एक सुविधाजनक तरीका है ।
💥यह पानी के साथ आसानी से घुल जाता है और एक पारदर्शी, स्वाद रहित, कम गाढा द्रव बनाता है ।
💥 इससे आहारीय फाइबर की दैनिक आवश्यकता को पूरा करने में सहायता मिलती है ।





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Email :  shrikhandgroup@gmail.com



Wednesday, July 22, 2020

बारिश की थाली आयुर्वेद वाली

बारिश की थाली आयुर्वेद वाली:-



बरसात में आम तौर पर हमारा खान पान क्या होना चाहिए यह हम लोगो को पता ही नहीं होता है । जिसकी वजह से बारिश में कई बीमारियों से जूझना पड़ता है ।
आज आपको एक ऐसी थाली के बारे में जानकारी दे रहा हूँ जिसे बारिश में अपने भोजन में खा सकते है । और सेहत बनी रहे ।

1) #आचार :-

आचार खाने का सबसे उत्तम समय बारिश में ही होता है क्यूंकी इसमे विभिन्न मसाले और नमक डाला होता है, साथ ही आचार खट्टा होता है । और बारिश के समय शरीर को खट्टा पदार्थ की अत्यंत आवश्यकता होती है । नींबू या आंवले का आचार उत्तम होता है ।

2) अदरक और काला नमक :-



बारिश के मौसम में पेट की अग्नि मंद हो जाती है , इसीलिए भूख कम लगती है । भोजन के पहले अदरक का छोटा सा टुकड़ा काला नमक के साथ चबा-चबा कर खाये । इससे आप जो भी भोजन करेंगे उसका पाचन क्रिया अच्छी तरह से होगा , भूख खुल कर आएगी ।

3) सब्जी :-



बारिश के मौसम में लंबी सब्जी खानी चाहिए जैसे बैंगन, भिंडी, कद्दू, नेणुआ, झिगनी, परवल इत्यादि यह सब वात, कफ का नाश करती है । पेट की अग्नि बढ़ाती है । पर पत्ते वाली कोई भी सब्जी न खाये , यह गैस बनाएगा ।

4) रोटी :- 


गेंहू की रोटी खाये, बारिश में मल्टीग्रेन आटा का उपयोग कम करें।


5) दाल :-

बारिश में मूंग की दाल खाये, यह पचने में हल्की होती है । साथ ही उसमे लहसुन, अजवायन, जीरा, मेथी, सोंठ इत्यादि को देशी गाय का घी में डालकर तड़का जरूर लगाए , इससे दाल का गुण अत्यधिक बढ़ जाएगा।

6) चावल :-

 चावल पकाने से पहले उसे तवे पर हल्का सेंक ले। इससे गैस नहीं बनेगा । साथ ही चावल को कुकर में कभी भी न बनाए, भोजन जहरीला होता है ।


7) दही :- 
इसे थोड़ी सी मात्र में ही ले , यह भूख को तेज करेगी ।


8) छाछ :-

यह गर्म होता है, इसीलिए इसमे जीरा, सेंधा नमक, डालकर पिये। इससे गैस की समस्या दूर होगी ।


9) शहद :- 

पानी को गर्म करके ठंडा करके शहद को ठंडे पानी में डालकर पिये । फायदेमंद होगा ।


10) पान :- 

अंत में भोजन करने के बाद देशी पान जरूर खाये । यह पाचन क्रिया को खूब बढ़ाता है । इसमें लौंग, जावित्री, सौंफ , इलायची डालकर खाये । इससे पाचक रस बनेगा और भोजन को पचाएगा । पर जिसे गर्मी की तकलीफ हो या खून की बीमारी हो वो पान न खाये ।
इस बारिश की थाली का प्रयोग बारिश के मौसम में 2 महीने ही करनी चाहिए । ताकि बारिश में होने वाली बीमारियो से बचा जा सकेगा ।






Thursday, July 16, 2020

बिहार की बदहाली मेरी नजर में । दो टूक







बिहार की बदहाली मेरी नजर में ।
दो टूक !



15 वर्ष लालू-राबड़ी शासन में बिहार लुट-पिट गया ।
बिजली तो छोड़िए , बिजली के खंभे नहीं बचे।
सड़क नहीं गड्ढ़ों में गाड़ियां चलती थीं।
अपहरण बिहार का प्रमुख उद्द्योग था। 
राज्य के हजारों उद्द्यमी, चिकित्सक, अभियंता सब पलायन कर गए।
लोग शाम होते ही अपने घरों में पैक हो जाया करते थे।
जनरेटर और इन्वर्टर चला बच्चे शाम को पढ़ा करते थे।
लालू जब चारा घोटाला में फसे तब अपनी सुयोग्य पत्नी को रसोई घर से उठा राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। हमारे भाग्य का फैसला राबड़ी करने लगी।
राजद में शायद लालू परिवार छोड़ दूसरा कोई योग्य नहीं था ! 15 वर्ष के इस भ्रष्ट शासन में कांग्रेस ने पूरा सहयोग दिया। 

त्राहिमाम जनता ने 15 वर्ष के अराजक लालू और कांग्रेस के शासन का खात्मा कर जदयू और बीजेपी को गद्दी पर बिठाया। नीतीश मुख्यमंत्री बने।
बिहार विकास के पथ पर अग्रसर हुआ।

Darbhanga-Patna 4 lane highway


जिस राज्य में विकास के एक कार्य नहीं होते थे अब सड़कें बनने लगी, बिजली रहने लगी, पटना में फ्लाईओवर , मॉल और मल्टीप्लेक्स दिखने लगे, गाँवों में भी बिजली रहने लगी।
विकास को तरसा बिहार चैन की सांस लेने लगा। 



नीतीश की वाहवाही पूरे देश-दुनिया मे 'विकास-पुरूष' के नाम से होने लगी।
प्रसन्न जनता ने अगले विधानसभा चुनाव में भारी मतों से फिर से जिताया।
लेकिन अब नीतीश की महत्वाकांक्षा सर चढ़ कर बोलने लगी। प्रधानमंत्री की गद्दी उनके ख्वाबों में आने लगी। जदयू जैसे एक क्षेत्रीय दल जो सिर्फ अपने दम पर एक राज्य में भी सरकार नहीं बना सकता था , उसके मुखिया अब देश के प्रधानमंत्री बनने का सपना देखने लगे।
अपनी महत्वाकांक्षा के पोषण केलिये उन्होंने BJP का साथ छोड़ लालू से हाथ मिला लिया जिनके जंगलराज के खात्मे केलिये जनता ने उन्हें गद्दी पर बिठाया था।


फिर क्या था, जम कर गालियाँ दी BJP को, मोदी को ।
लालू अब बड़े भाई हो गए।
अगले चुनाव में छोटे भाई-बड़े भाई ने मिलकर भाजपा को जबरदस्त पटखनी दी ।
छोटे भाई मुख्यमंत्री बने और बड़े भाई के नवी पास सुयोग्य पुत्र उपमुख्यमंत्री।



ज्यादा दिन यह बेमेल विवाह टिक नहीं पाया।
बड़े भाई के सामने छोटे भाई चारों खाने चित नजर आए।
बेचारे होकर जनता के मैंडेट की धज़्ज़ियाँ उड़ा फिर से BJP के साथ मिलकर मुख्यमंत्री बन गए।
न तो पहले जनता ने उन्हें लालू जी के साथ मुख्यमंत्री बनने केलिये वोट किया था न तो बाद में जनता ने उन्हें लालू को छोड़ BJP का दामन थामने केलिये चुना था।
लेकिन महत्वाकांक्षी नीतीश को जनता के मैंडेट से क्या मतलब ?
उनकी आंखें तो हमेशा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रही क्योकि प्रधानमंत्री बनने के उनके ख्वाब धरे रह गए।
नितीश को जो मुख्यमंत्री बनाएगा वे उस पार्टी का दामन थामेंगे।
अतः नीतीश का पहला टर्म निश्चय ही उल्लेखनीय रहा।
बिहार ने प्रगति की। नितीश की राष्ट्रीय साख बढ़ी।
लेकिन फिर अपनी महती महत्वाकांक्षा के वे शिकार हुए।

अभी आलम यह है कि बिहार सरकार के पास एक भी अस्पताल नही, मेडिकल कॉलेज नहीं जहाँ सीरियस कोरोना मरीजों का ईलाज हो सके।
सब भारत सरकार के AIIMS पटना में भर्ती होना चाहते हैं। बड़े-बड़े नेता, अफसर सब AIIMS में। कोरोना से लड़ रहे चिकित्सक भी अगर गंभीर रूप से संक्रमित होते हैं तो उन्हें भी AIIMS में दाखिला नहीं मिलेगा।
राज्य के मुख्यमंत्री और सारे नेता नदारद हैं। ट्विटर और फेसबुक पर चिचिया रहे हैं, इधर जनता त्राहिमाम।
जदयू और उसका पीठलग्गु भाजपा सरकार का पोल इस महामारी ने पूरी तरह से खोल दिया।
जाति के नाम पर वोट करने वाले हर जाति के बिहारी मर रहे हैं, कहीं कोई व्यवस्था नहीं।
सिर्फ कागजी लिफ़ाफ़ेबाजी !

साहब लोग पिछले कुछ महीनों से मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के बदले आगामी चुनाव में व्यस्त हो गए। जातियों के समीकरण, कैंडिडेट के चयन और BJP और चिराग पासवान से सीटों के बटवारे पर बातचीत में लगे थे , इधर कोरोना ने अपना मुंह खोलना शुरू कर दिया।

देखा जाए तो बिहार की बर्बादी केलिये सबसे जिम्मेदार है यहाँ की जनता जिन्हें जीवन से ज्यादा जाति प्यारी है।
फिर है दो राष्ट्रीय पार्टियाँ कांग्रेस और भाजपा।
कांग्रेस ने लालूपरिवार और उनके अधर्मों को 15 वर्षों तक समर्थन किया, उनके पीछे नाचते रहे और अब भी उन्हीं के लट्टू हैं , जबकि भाजपा नितीश की घिरनी बन नाच रही है। भाजपा में नेता कौन है, लोगों को अब यह भी पता नहीं। जदयू के नेता नितीश और भाजपा के भी नितीश क्योकि सुशील मोदी तो नितीश के स्टेपनी हैं।


फिर आते हैं लालू और नीतीश(राजद और जदयू तो नाम हैं, ये दोनों पार्टियां सिर्फ इन दोनों महापुरुषों के व्यक्तिगत झुनझुने हैं )
दोनों ने बिहार के जनमानस में , उनकी सोच में, जाति और संप्रदाय के जहर को एक नई गहराई दी।
बिहार की जनता अब भी विकास छोड़ जाति पर वोट करती है।
नतीजा शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मूलभूत आवश्यकताओं केलिये इस राज्य की जातिवाद जनता तरस रही है।
जाति इस राज्य की सबसे बड़ी करेंसी है। जाति से आप यहाँ सत्ता खरीदिये और बेचिए।

अब क्या करेंगे आप ?
कोरोना क्या लोगों की जातियां, सम्प्रदाय , भाषा , प्रांत, राष्ट्र  और मजहब देख मार रहा है ?
वायरस और बैक्टेरिया हमसे ज्यादा विकसित हैं।
वे जातिवाद नहीं करते, वे सामाजिक हैसियत नहीं देखते, सबको समान रूप से मारते हैं।
बचेगा वह समाज जो शिक्षित, अनुशासित और जहाँ की स्वास्थ्य व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त ।
बिहार में शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों बदहाल, फटेहाल।
इतना कि एक मात्र AIIMS पटना में सारे नेता, अभिनेता और बड़े-बड़े अफसर ही भर्ती हो रहे हैं। इनमें से
कोई बिहार सरकार के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भर्ती होना नहीं चाहता। वहाँ भर्ती होंगे आप और मैं।
हाँ सालों भर इनकम टैक्स, प्रदूषण टैक्स आदि सैकड़ों टैक्सों की चिट्ठियां आने में देर नहीं लगती।
थाने से लेकर हर सरकारी दफ्तरों में चपरासी से लेकर बड़े अफसरों तक की जेबें गर्म किये बिना शायद ही कोई कार्य सम्पन्न हो।


तो फिर क्या करेंगे ?
किसे वोट देंगे ?
लालू को, नीतीश को या उनके चट्टे-बट्टे कांग्रेस और भाजपा को ?
सारे पापी, अधर्मी, पाखंडी ।
जाति से ऊपर उठिए, समझिये राजनीति और अपनी सही जरूरतें।
हटाइये इन सब अधर्मियों को।

फिलहाल तो दूर-दूर तक निराशा ही निराशा है।
मरते रहिये कोरोना से ।
मैं तो सिर्फ ईश्वर से आपकी सलामती की दुआ मांग सकता हूँ।
🙏🏼





Tuesday, July 7, 2020

Compliance Calendar Financial Year wise affected due to COVID-19 for July-20







Compliance Calendar Financial Year wise affected due to COVID-19 for July-20


🔴 FY 2018-19

📙 INCOME TAX
✔️31st July 2020- For assesse who has not filled their return or audit for FY 2018-19 last date of filling return

🔴 FY 2019-20 –

📙 INCOME TAX
✔️31st July 2020- The date for making various investment/payment for claiming deduction under Section 80C (LIC, PPF, NSC etc.), 80D (Mediclaim), 80G (Donations), etc.

🔴 FY 2020-21 –

📙 INCOME TAX



✔️07th July 2020- TDS deducted /TCS collected for the month of June 2020
✔15th July 2020- TDS return of government department for fourth quarter ending on 31.03.2020
✔15th July 2020- TCS return deposit fir fourth quarter ending on 31.03.2020
✔️31st July 2020- TDS return in form 24Q/26Q for fourth quarter ending on 31.03.2020 
✔31st July 2020- TDS return for quarter 1 ending on 30.06.2020
✔️15th August 2020- Issue of form 16/16A for the fourth quarter ending 31.03.2020
✔️31st March 2021- Date for linking of Aadhaar with PAN









📙 GST
                              

Taxpayer having aggregate turnover > Rs. 5cr in preceding FY
✔️20th July 2020- Due date of filling GSTR-3B for the month of June 2020 (No Extension)

✔️05th August 2020- Due date of filling GSTR-1 for the month of June 2020 

Taxpayer having aggregate turnover upto Rs. 5cr in preceding FY
-GSTR-3B
✔️03rd July 2020- Due date of filling GSTR-3B for the month of March 2020
✔️06th July 2020- Due date of filling GSTR-3B for the month of April 2020
✔️12th Sept 2020- Due date of filling GSTR-3B for the month of May 2020
✔️23th Sept 2020-Due date of filling GSTR-3B for the month of June 2020

-GSTR-1 (Monthly)
✔️10th July 2020- Due date of filling GSTR-1 for the month of March 2020
✔️24th July 2020- Due date of filling GSTR-1 for the month of April 2020
✔️28th July 2020- Due date of filling GSTR-1 for the month of May 2020
✔️05th August 2020- Due date of filling GSTR-1 for the month of June 2020

-GSTR-1 (Quarterly)
✔️17th July 2020- Due date for filling GSTR-1 for the Quarter Jan-March-2020
✔️03rd August 2020- Due date for filling GSTR-1 for the Quarter Apr-June 2020

-Composition Dealer
✔️08th July 2020- Due date for filling CMP-08 for the Quarter Jan-March-2020
✔️15th July 2020- Due date for filling GSTR-4 for the Quarter Jan-March-2020


-ANNUAL RETURN /AUDIT REPORT
✔️30th Sept 2020- GSTR-9 Annual return for FY 2018-19.
✔️30th Sept 2020- GSTR-9C Audit Report for FY 2018-19.



📙 ESI/PF

✔️15th July 2020- Due date of filling ESIC return of contribution for the period October-19 to March 2020.
✔️15th July 2020- Due date for payment of Provident Fund, ESI contribution for employers who have paid wages to their employees for June 2020.


📙 PROFESSIONAL TAX

✔31st  July 2020- Due date for exemption of  late fee payable under amnesty scheme for  in respect of monthly or annual professional tax returns pertaining to any periods up to March 2020 and monthly period of April 2020.


✔31st July 2020- Due date for payment of PT for the month of June where tax liability is more than Rs.50,000/-


NOTE:
1. Vivaad Se Vishwas Scheme extended to 31.12.2020 (without additional 10% of tax)

2. MCA - moratorium from 01.04.20 to 30.09.20 - there shall be no additional fees for late filings.

3. Revised CARO to get applicable from FY 20-21 instead of FY 19-20

4. For newly incorporated companies - Commencement of business is to be filed within 6 months, which is now extended for another 6 months.

5. DIN holders tagged as ‘Deactivated’ have an extended time of up to 30th September 2020 for filing DIR-3KYC/DIR-3 KYC-Web, without fees of Rs 5,000. Companies marked as “ACTIVE non-compliant” have got extended time of up to 30th September 2020 to file eForm ACTIVE without fees of Rs 10,000.


FAQ:
Call : +91-9939000039, +91-9934010214, +91-9430000733

Email : shrikhandgroup@gmail.com



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