भीष्म को भ्रम का प्रतीक माना गया है | जिसे इच्छा मृत्यु प्राप्त है |
कहने का तात्पर्य है की भ्रम को आप अपने विवेक और मनोबल से तोड़ सकते है यह आपके इच्छा पर निर्भर है |
भ्रम आपको क्षणिक सुख प्रदान करता है और यह आप पर हावी रहता है|
अब आपका विवेक ही आपको मदद करता है इस इच्छा से लड़ने के लिए और अगर आप इच्छा के वशीभूत है तो यह अंततोगत्वा आपको विनाश के रास्ते पर ले जाता है| और इन्ही परिस्तिथियों का परिणाम सुशांत सिंह राजपूत जैसे लोग बन जाते हैं |
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