Wednesday, November 16, 2022

सुखद जीवन का आशीर्वाद प्राप्त करने की विधि


जन्म के पश्चात् हम अपने अभिभावकों से, घर के बड़े बुजुर्गाें से, बाल्यकाल के मित्रों से, अड़ोस पड़ोस के लोगों से उनके अनुसरण में गुण व अवगुण ग्रहण करते हुए बड़े होते हैं । माता पिता व बड़े बुजुर्गों द्वारा हमें अच्छी और आदरपूर्ण व्यावहारिकता सिखाने का प्रयास भी किया जाता है । साथ ही साथ हर बच्चा अपने विवेक से भी कुछ अच्छे संस्कारों की पूंजी जमा करता है ।

समझ पकड़ने के बाद हमें सभी अच्छाईयों का ज्ञान होने के बावजूद अक्सर हम अपने व्यवहार को उस अनुरूप कायम नहीं रख पाते हैं । किसी व्यक्ति का अच्छा होना तभी चरितार्थ होता है, जब वह सदा के लिए और सभी के लिए अच्छा व्यवहार करता है । लेकिन कभी कभी हम औरों की व्यवहारिक तुच्छता से प्रभावित होकर अपनी व्यवहारिक गुणवक्ता को गिरा देते हैं । फलस्वरूप हम लोगों के लिए तभी अच्छे होते हैं जब तक वे हमारे लिए अच्छे होते हैं।

यदि हम अच्छे व्यवहार वाले व्यक्ति के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और बुरे व्यवहार वाले व्यक्ति के साथ बुरा व्यवहार करते हैं तो निश्चित रूप से हमारा व्यवहार उन लोगों के नियन्त्रण में है । इसलिए स्वयं से यह प्रश्न अवश्य पूछें कि क्या मैंरे आचरण में उन लोगों की चाल चलन या व्यक्तित्व झलकता है जिनके सम्पर्क में अक्सर मैं आता हूं।

सामने वाले का व्यवहार अप्रिय लगते ही हमारे अन्तर्मन में जैसे को तैसा का भाव प्रबल आवेग के रूप में सक्रिय होकर हमारी अन्तर्निहित अच्छाईयों का परित्याग करने के लिए हमें विवश कर देता है । इस आदत के दीर्धकालिक परिणााम स्वरूप हमारे ही चरित्र, संस्कारों और अच्छाईयों पर व्यक्तित्व को कुरूप बनाने वाले अवगुणों रूपी कलंकित धब्बे पड़ जाते हैं।

इसलिए आज से प्रतिदिन निर्धारित समय के लिए  शुद्ध, श्रेष्ठ, नैतिक व आत्मिक गुणों की परिधि में बैठना प्रारम्भ करें ताकि हमारा चरित्र, हमारे संस्कार और हमारा व्यक्तित्व आसपास के वातावरण में मौजूद अवगुणों रूपी गन्दगी के दुष्प्रभाव से मुक्त रहे ।
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चाहे कुछ भी हो जाए, दिव्यता की चादर पूरी तरह से अपने व्यक्तित्व पर ओढ़े रखकर दूसरों के गलत व्यवहार पर त्रुटिपूर्ण प्रतिक्रिया करने की उकसाहट से स्वयं को बचाकर अपनी आन्तरिक शक्ति का संचय करें । स्वयं को यह बार बार याद दिलाते रहें कि मैं विपरीत परिवेश और विरोधी मनोवृत्ति वाले लोगों के बीच रहते हुए भी हर परिस्थिति में अपने मूल दिव्य आत्मिक गुणों का ही उपयोग करूंगा और लोगों के घृणोत्पादक व्यवहार के बावजूद सदा शुभभावना रखते हुए उनके प्रति दयाहृदयी रहुंगा ।

हर व्यक्ति का दृष्टिकोण व व्यवहार उसके जीवन में प्रतिदिन उन्पन्न होने वाली परिस्थितियों से प्रभावित होकर बदलता रहता है । इसीलिए व्यक्ति अभी अभी बड़े ही प्यार और सम्मान के साथ बात करेगा तो कुछ समय बाद उसका व्यवहार बिलकुल ही बदला हुआ नजर आएगा । कभी सामने वाले के विचारों का समर्थन करेगा तो कभी वाद विवाद करेगा, कभी सहयोग करेगा तो कभी बाधाएं उत्पन्न करेगा, कभी क्रोध करेगा तो कभी हमें देखकर भी अनदेखा कर देगा। इसलिए सामने वाले व्यक्ति का कोई आचरण अप्रिय लगने पर तत्क्षण कोई भी नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए।

यदि हम किसी के अशिष्ट व्यवहार से प्रभावित होकर स्वयं को भी अशिष्ट बना लेते हैं तो हमारी गुणवक्तायुक्त पहचान खण्डित होती है । यदि किसी का व्यवहार अप्रिय, अशिष्ट और अशोभनीय है तो यह उसका जीवन है, उसकी मनोवृत्ति है, उसके कर्म है और उसका भाग्य है । हर व्यक्ति अपना जीवन मार्ग स्वयं चुनता है । यदि किसी का गलत मार्ग है तो वह उसका अपना चुना हुआ है और हमारा सही मार्ग है तो यह हमारा अपना चुना हुआ मार्ग है । हमें किसी और को देखकर अपने चुने हुए मार्ग से भटकने की आवश्यकता नहीं।

लोगों द्वारा किए जाने वाले अप्रिय आचरण का सामना करने के लिए हमारे पास तीन विकल्प हैं । पहला कि हम अपनी शालीनता का गला घोंटकर सामने वाले के अशोभनीय व्यवहार का प्रतिबिम्ब अपने व्यवहार से दिखाकर स्वयं को उसी के समान निम्न कोटि का व्यक्ति सिद्ध करके दिखाएं । दूसरा कि सामने वाले के गलत आचरण को अपने दिल में बिठाकर उसे बार बार याद करके स्वयं को दर्दनाक अवसाद में डूबाकर बैठ जाएं । तीसरा कि हम सामने वाले के अनुचित व्यवहार से प्रभावित हुए बिना उसके भीतर काम करने वाली नकारात्मक उर्जा को अपनी अंतर्निहित गुणवक्ता से परिवर्तित करने का सफल प्रयास करें ।

किसी के दोषपूर्ण, अशुद्ध और गलत व्यवहार को धारण कर उसे अपने आचरण से ना झलकाएं बल्कि अपने श्रेष्ठ, शुद्ध और स्नेहपूर्ण व्यवहार को अपने व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब बनाएं । दैनिक कर्म व्यवहार में आत्मा के नैसर्गिक गुणों का लगातार उपयोग कर सदा प्रसन्न, सन्तुष्ट, सुखद और सफल जीवन का सबसे आशीर्वाद प्राप्त करें ।

ॐ शांति

Tuesday, November 15, 2022

मधुर सम्बन्धों का पुनर्गठन




हम सब मनुष्यात्माएं अनन्तकाल से जीवन यात्रा पर हैं । मृत्यु के अल्पकालिक पड़ाव के बाद आत्मा नया जन्म पाकर सुखद, शान्तिपूर्ण, मनहर्षक और रोमांचक जीवन की अभिलाषा लिए इस यात्रा पर पुनः निकल पड़ती हैं ।

जीवन में सुख, शान्ति, प्रेम और आनन्द की शुद्धाभिलाषा लिए हम मित्र बनाते हैं, पारिवारिक सम्बन्ध स्थापित करते हैं । आपस में एक दूसरे से सहयोग लेते और देते हुए हम जीवन में सुखद अनुभूतियां करते और कराते हैं ।

किन्तु ऐसा क्या हो रहा है कि पीढ़ी दर पीढ़ी पारिवारिक सम्बन्धों में मिठास, प्रेम और अपनत्व के आनन्द का अभाव बढ़ता ही जा रहा है ? जीवन रूपी झोली में ऐसा कौनसा छिद्र है जिसमें से पारिवारिक सम्बन्धों की समस्त मधुर और सुखद अनुभूतियों का रिसाव हो रहा है ?

हर व्यक्ति को सुखद अनुभूति कराने वाले शब्द ही सुनना प्रिय है । यह मनोवृत्ति लगभग हर व्यक्ति में विद्यमान है कि उसके जीवन में घटित होने वाली प्रत्येक घटना, हर मित्र सम्बन्धी का व्यवहार उसकी इच्छाओं और भावनाओं के अनुरूप हो, किन्तु हमेशा ऐसा नहीं हो पाता ।

कई बार हम किसी की व्यवहार स्वीकृति की मनोवस्था को समझे बिना आपत्तिजनक व्यवहार कर बैठते हैं या आलोचनात्मक भाषा बोलने की गलती कर देते हैं जिससे हमारे मधुर सम्बन्धों को होने वाली अपूर्णीय क्षति का हमें आभास ही नहीं होता ।

किसी की आलोचना करके, उपहास या अपमान करके अपनी तामसिक सन्तुष्टि व सुकून को पोषित करना ऐसी मनो विकृति है जिसके परिणामस्वरूप देर सबेर जब सम्बन्धों की मिठास में कटुता, वैमनस्य, मतभेद, मनमुटाव आदि कड़वेपन की मिलावट होने लगती है । गलती का एहसास होते होते बहुत देर हो चुकी होती है । बिखरते हुए सम्बन्धों के परिणामस्वरूप जीवन की सुखद अनुभूतियों में कमी आने पर हम आत्म ग्लानि की अवसादमय मनोदशा के शिकार हो जाते हैं ।

बिगड़े हुए सम्बन्धों को पुनः सुधारना कठिन अवश्य है किन्तु असम्भव नहीं । अपनी भूल का एहसास होने पर सबसे पहले अन्तर्मन में बैठे अपराध बोध का भाव त्यागना आवश्यक है, तभी सम्बन्धों को मधुर बनाने की शुरूआत हो सकती है ।

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अतीत की गलतियों को लेकर मन में अपराध बोध को पालने या बार बार आत्म आलोचना करने से हमारी ही चेतना शक्ति का ह्रास होता है । अपराध बोध का भाव हमारे मन में कड़वापन भर देता है । बार बार गलतियों के बारे में सोच सोचकर दुखी होना सम्पूर्ण जीवन को शक्तिहीन बनाने वाला एक अवसाद रोग है । बेहतर तो यही होगा कि हम अपनी उर्जा का संरक्षण कर उस गलती को ना दौहराने का दृढ़ निश्चय करें । 

गलती का बोध होने का अर्थ है कि इसे सुधारने के लिए प्रतिबद्ध हो जाना चाहिए, ताकि नकारात्मक विचारों के कारण मन में उत्पन्न होने वाली अवसादमय पीड़ा को मिटाया जा सके ।

इसके लिए स्वयं को ज्ञान स्वरूप, शान्त स्वरूप, प्रेम स्वरूप, सुख स्वरूप, पवित्र स्वरूप, आनन्द स्वरूप और शक्ति स्वरूप आत्मा के रूप में जागरूक रखना चाहिए जो प्रतिदिन आत्म साधना अथवा ध्यान से ही सम्भव है । यह आत्म जागरूकता जितनी बढ़ती जाएगी, उतनी ही सात्विकता हमारे जीवन में प्रवेश करती जाएगी । तब हमें हमारे ही उस श्रेष्ठ, संभ्रांत, कुलीन, सर्वप्रिय और त्रुटिरहित व्यक्तित्व का परिचय होगा, जिसे आत्मसात करके हम प्रत्येक छोटी से छोटी गलती से विरत होते जाएंगे।

अपने गलत आचरण से प्रभावित होने वाले मित्र, सम्बन्धियों से मौखिक रूप से क्षमा मांगने और भावनात्मक रूप से उन्हें स्नेहपूर्ण, सकारात्मक व शक्तिशाली प्रकम्पन भेजने से उन्हें भी आपसी सम्बन्धों के प्रति सकारात्मक मनोवृत्ति को जन्म देने में सहयोग करेगा ।

हमें अपने स्वभाव को सहज रूप से निर्मल, सरल व शान्त बनाकर धैर्यता के साथ यह प्रयास निरन्तर जारी रखते हुए सम्बन्धों में सुधार होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए ।

यह अटल सत्य है कि शुद्ध मनोवृत्ति से किया गया कोई भी कार्य असफल नहीं होता, उसे अन्ततः सफलता ही मिलती है । तो आईए, हम आत्मिक गुणों के आधार पर सबको निस्वार्थ स्नेह व सहयोग देते हुए अपने बिगड़े हुए मधुर सम्बन्धों को पुनर्गठित करने का सफल प्रयास करें ।

ऊँ शान्ति

Saturday, November 5, 2022

Credit Card पेमेंट की डेट निकल गई? नो टेंशन, नहीं देना होगा लेट फीस, जान लीजिए RBI का ये नियम


Credit Card Payment Due Date: आप किसी इमरजेंसी के चलते अपना क्रेडिट कार्ड का पेमेंट नहीं कर पाए. या फिर ड्यू डेट ही आपके दिमाग से उतर गया, तो RBI का एक नियम आपके काम आ सकता है.

यह तभी कर सकती हैं, जब अकाउंट ड्यू डेट के बाद के तीन दिनों की लिमिट भी क्रॉस कर चुका हो.

RBI के Master Direction – Credit Card and Debit Card – Issuance and Conduct Directions, 2022 के मुताबिक, जुर्माने के तौर पर एक्स्ट्रा इंटरेस्ट, लेट पेमेंट चार्ज और दूसरे ऐसे चार्ज ड्यू डेट के बाद बस आउटस्टैंडिंग अमाउंट पर ही लगाए जा सकते हैं, न कि कुल अमाउंट पर.

RBI का कहना है कि "पास्ट ड्यूज़ के बाद के दिनों की संख्या और पेमेंट चार्ज, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में दिए गए ड्यू डेट के हिसाब से कैलकुलेट किया जाएगा."

तो कुल मिलाकर आपके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में आपको जो ड्यू डेट है, उस डेट के अगले तीन दिनों तक आप बिना किसी लेट फीस के अपना बकाया भर सकते हैं और आरबीआई के नियम के अनुसार आपकी क्रेडिट कार्ड कंपनी/बैंक आपसे इसपर चार्ज नहीं ले सकते.

क्या कहता है RBI?

दरअसल, क्रेडिट कार्ड पेमेंट का ड्यू डेट निकल जाने के अगले तीन दिन तक आप अपना बकाया भर सकते हैं. RBI के 'Master Direction' सर्कुलर के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड इशू करने वाली कंपनी किसी भी अकाउंट की ओर से पेमेंट न होने पर उसे "Past Due" यानी बकाया चुकाने की तारीख के ऊपर चले जाने के तौर पर रिपोर्ट कर सकती है और उसपर जुर्माना लगा सकती है. लेकिन वो यह तभी कर सकती हैं, जब अकाउंट ड्यू डेट के बाद के तीन दिनों की लिमिट भी क्रॉस कर चुका हो.

RBI के Master Direction – Credit Card and Debit Card – Issuance and Conduct Directions, 2022 के मुताबिक, जुर्माने के तौर पर एक्स्ट्रा इंटरेस्ट, लेट पेमेंट चार्ज और दूसरे ऐसे चार्ज ड्यू डेट के बाद बस आउटस्टैंडिंग अमाउंट पर ही लगाए जा सकते हैं, न कि कुल अमाउंट पर.

RBI का कहना है कि "पास्ट ड्यूज़ के बाद के दिनों की संख्या और पेमेंट चार्ज, क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में दिए गए ड्यू डेट के हिसाब से कैलकुलेट किया जाएगा."

तो कुल मिलाकर आपके क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट में आपको जो ड्यू डेट है, उस डेट के अगले तीन दिनों तक आप बिना किसी लेट फीस के अपना बकाया भर सकते हैं और आरबीआई के नियम के अनुसार आपकी क्रेडिट कार्ड कंपनी/बैंक आपसे इसपर चार्ज नहीं ले सकते.

प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार!

प्रधानमंत्री मोदी का मौन व्रत रोकवाने अभिषेक मनु सिंहवी पहुंचे चुनाव आयोग के द्वार! अभी कितना और करेंगे पापाचार? राम मंदिर निर्माण में जितना...